केंद्र सरकार ने नॉन बासमती व्हाइट राइस से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस खत्म करने का फैसला लिया
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने नॉन बासमती व्हाइट राइस (सफेद चावल) से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (न्यूनतम निर्यात मूल्य) को खत्म करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही उसना…
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने नॉन बासमती व्हाइट राइस (सफेद चावल) से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (न्यूनतम निर्यात मूल्य) को खत्म करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही उसना चावल (पारब्वाएल्ड राइस) पर लगने वाली 10 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी को भी खत्म करने का फैसला लिया गया है। ये फैसले हाई लेवल मिनिस्टीरियल पैनल की बैठक में लिए गए। जल्दी ही इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत से होने वाले चावल के निर्यात में और तेजी आ सकेगी।
सरकार की ओर से नॉन बासमती व्हाइट राइस के निर्यात के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किया गया था। इसी तरह उसना चावल पर 10 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई गई थी। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल की कीमत औसत कीमत से अधिक हो गई थी, जिससे चावल के निर्यातकों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा था। पिछले सप्ताह ही इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (आईआरईएफ) के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करके नॉन बासमती व्हाइट राइस के लिए तय मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (एमईपी) को खत्म करने और उसना चावल पर लगने वाले एक्सपोर्ट ड्यूटी को हटाने की मांग की थी।
आईआरईएफ का कहना है कि फिलहाल देश में ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत 235 लाख टन चावल का विशाल स्टॉक मौजूद है। इसके अलावा इस सीजन में 275 लाख टन अतिरिक्त चावल के बाजार में आने की उम्मीद है। इस तरह देश में चावल का विशाल भंडार इकट्ठा हो जाएगा। ऐसे में चावल उत्पादक किसानों और चावल के कारोबारियों को तभी राहत मिल सकती है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल के निर्यात के लिए उन्हें बंदिशों से मुक्त होकर काम करने का मौका मिले।
आईआरईएफ की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को दिए गए ज्ञापन में ये भी कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमत में लगातार गिरावट आई है। दूसरी ओर, मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस की बाध्यता और एक्सपोर्ट ड्यूटी की वजह से भारतीय चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में तुलनात्मक तौर पर महंगा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर पेश करने से ही निर्यात के मोर्चे पर सफलता मिल सकती है। इन्हीं बातों को सामने रखते हुए आईआरईएफ ने केंद्र सरकार से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस और 10 प्रतिशत की एक्सपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने की मांग की थी।