भारत ने देश की चौथी परमाणु मिसाइल पनडुब्बी का लॉन्च किया, जो समुद्र में दुश्मनों को चौकस करेगी…
समुद्र में भारत की शक्तियों में और इजाफा हो गया है। भारत ने अपने दुश्मनों को दूर रखने के लिए समुद्र में अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने की…
समुद्र में भारत की शक्तियों में और इजाफा हो गया है। भारत ने अपने दुश्मनों को दूर रखने के लिए समुद्र में अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम उठाया है।
इस सप्ताह विशाखापत्तनम शिप बिल्डिंग सेंटर (SBC) में देश की चौथी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल (SSBN) पनडुब्बी लॉन्च की गई है।
भारत की दूसरी SSBN INS अरिघाट को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 29 अगस्त, 2024 को कमीशन किया था, जबकि तीसरी SSBN INS अरिधमान को अगले साल कमीशन किया जाएगा।
इससे पहले 9 अक्टूबर को सुरक्षा कैबिनेट समिति (CCS) ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में किसी भी दुश्मन को दूर रखने के लिए दो परमाणु ऊर्जा संचालित मारक क्षमता वाले पनडुब्बियों के निर्माण की मंजूरी दी थी।
यह भारतीय नौसेना की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चौथे SSBN का कोड नाम S4* है और इसे 16 अक्टूबर को लॉन्च किया गया है।
इसके एक दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेलंगाना के विकाराबाद जिले के दामागुंडम इलाके में भारतीय नौसेना की रणनीतिक एसेट्स की कमान, नियंत्रण और संचार के लिए लो फ्रीक्वेंसी नेवल स्टेशन का उद्घाटन किया था।
नए लॉन्च हुए S4* SSBN लगभग 75% स्वदेशी है और यह 3,500 किलोमीटर रेंज के K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है जिसे वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम के जरिए दागा जा सकता है।
इस श्रेणी के पहले INS अरिहंत को 750 किमी रेंज की K-15 परमाणु मिसाइलों से लैस किया जा सकता है। INS अरिहंत और INS अरिघाट दोनों ही पहले से ही समुद्र में भारत के दुश्मनों पर नजर रख रहे हैं।
इनका साथ देने के लिए रूसी अकुला क्लास की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली एक मारक क्षमता वाली पनडुब्बी 2028 में लीज पर भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली है।
भारत ने लीज पर की गई पहली परमाणु हमलावर पनडुब्बी INS चक्र का नाम S1 रखा था। INS अरिहंत का नाम S2, INS अरिघाट का नाम S3, INS अरिधमान का नाम S4 रखा गया। नई लॉन्च की गई पनडुब्बी अपनी श्रेणी की आखिरी पनडुब्बी है जिसे S4* नाम दिया गया है हालांकि औपचारिक नाम की घोषणा अभी नहीं की गई है।
सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए तीसरे विमानवाहक पोत की तुलना में परमाणु हमला और बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को प्राथमिकता दी है।
सरकार ने इस साल दिसंबर में शुरू होने वाली छठी डीजल अटैक कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वाग्शीर के साथ पारंपरिक पनडुब्बी निरोध की दिशा में भी काम किया है।
इस बीच सरकार फ्रांस की नौसेना की मदद से मझगांव डॉकयार्ड में तीन और उन्नत डीजल अटैक पनडुब्बियों के निर्माण को आगे बढ़ाएगी।
पिछले साल से हर महीने हिंद महासागर में 10-11 पीएलए युद्धपोतों और 2025-26 में लंबी दूरी की गश्त की उम्मीद के साथ रणनीतिक पनडुब्बियां भारत की रक्षा करने और हिंद महासागर क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
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