एमवीए में सीट शेयरिंग को लेकर नहीं थम रहा घमासान, हो सकते हैं अलग-अलग रास्ते

मुंबई। एमवीए यानी महाविकास अघाड़ी में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। विवाद की जड़ सिर्फ इतनी है कि सभी को ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहिए। इसके अलावा दूसरे विवाद…

एमवीए में सीट शेयरिंग को लेकर नहीं थम रहा घमासान, हो सकते हैं अलग-अलग रास्ते

मुंबई। एमवीए यानी महाविकास अघाड़ी में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। विवाद की जड़ सिर्फ इतनी है कि सभी को ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहिए। इसके अलावा दूसरे विवाद का कारण है कि 36 सीटों पर ऐसा पेंच फंसा है जहां कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना आमने-सामने हैं। दोनो ही दल इन सीटों को अपना गढ़ मानकर चल रहे हैं। हालांकि आज मंगलवार को एमवीए की बैठक होने जा रही है जिसमें समाधान निकालने के प्रयास होंगे। फिर भी संभावना ये भी है कि यदि कोई रास्ता नहीं निकला तो अलग अलग रास्तों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।  जानकारों का कहना है कि सारी लड़ाई ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ने की है, जिससे ये संदेश जाए कि गठबंधन में बड़ा भाई हम ही हैं। जबकि एक फैक्ट यह है कि एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन के पुराने सहयोगी रहे हैं। इस अलायंस में कांग्रेस हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रही है। लेकिन जब एमवीए की सरकार बनी तो शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी थी। इसी को आधार बनाकर उद्धव पहले मुख्यमंत्री बने और अब विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका चाहते हैं।

महाराष्ट्र में कुल 288 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं। 20 नवंबर को एक ही चरण में वोटिंग होनी है। 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी  में तीन प्रमुख दल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) हैं। विधानसभा चुनाव में पहली बार तीनों दल मिलकर उतर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस और उद्धव सेना में सीटों को लेकर पेच फंसा है। माना जा रहा है कि विदर्भ की सात सीटों पर उद्धव की पार्टी और कांग्रेस अपना-अपना दावा कर रही है।दरअसल, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त बढ़त हासिल की है। यही वजह है कि पार्टी अब विधानसभा चुनाव में भी पूरे दमखम के साथ उतरने जा रही है। इस बार कांग्रेस विधानसभा चुनाव में कम से कम 110 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रही है। जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी 100 से ज्यादा सीटों पर दावेदारी ठोक रही है।

कुछ इस तरह फंसा है सियासी पेंच

चूंकि, कांग्रेस 110 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। उद्धव भी 100 से ज्यादा सीटें मांग रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर एनसीपी के लिए क्या बचेगा? वो कितनी सीटों पर चुनाव में उम्मीदवार उतार पाएगी। क्योंकि कुछ सीटों छोटे सहयोगी दलों को भी देनी होंगी। समाजवादी पाटी ने 12 सीटें की डिमांड रखी है। खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इंडिया ब्लॉक को प्रस्ताव भेजा है।इसके अलावा, मुंबई की जिन सीटों पर पेच फंसा है, वहां अब तक कांग्रेस-शिवसेना की फाइट रही है। इन सीटों पर दोनों दलों की दावेदारी है। इसी तरह, उद्धव ठाकरे विदर्भ की सीटें भी मांग रहे हैं, जहां कांग्रेस-बीजेपी की फाइट रही है। उद्धव की पार्टी का आधार भी इन सीटों पर नहीं है। हालांकि, उद्धव की पार्टी का तर्क है कि विदर्भ की कुछ सीटों पर पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस लगातार बीजेपी से हारती आई है। वही, कांग्रेस का कहना है कि विदर्भ उसका गढ़ रहा है। आज वो फिर मजबूत हो चुकी है।