ये लो…………………….विघ्ननेश्वर गणपति मंदिर में पंडित के साथ रोबोट होगा पुजारी
पटना । सोनपुर के हरिहरनाथ तीर्थ क्षेत्र में एआई तकनीक से लैस राज्य के पहले सुपकर्ण विघ्ननेश्वर गणपति मंदिर का निर्माण की तैयारी हो रही है। इसमें पंडित के साथ…
पटना । सोनपुर के हरिहरनाथ तीर्थ क्षेत्र में एआई तकनीक से लैस राज्य के पहले सुपकर्ण विघ्ननेश्वर गणपति मंदिर का निर्माण की तैयारी हो रही है। इसमें पंडित के साथ रोबोट पुजारी होगा। यह मंदिर यशस्वी भव ट्रस्ट द्वारा बनाया जा रहा है। निर्माण जनवरी 2025 से होगा। वर्ष 2030 तक बनकर तैयार होगा। इसपर करीब 300 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। मंदिर 14 हजार स्क्वायर फीट में बनेगा। मंदिर की चारों तरफ हरियाली रहेगी। तीन मंजिले मंदिर के निर्माण में लकड़ी का इस्तेमाल होगा। इस मंदिर को पैगोडा शैली में बनाया जाएगा। इस प्रकार के मंदिर नेपाल, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं। इसके पहले तल पर गणेश दीर्घा रहेगा। इसमें भगवान गणेश के बाल रूपों की तस्वीर लगाई जाएगी।
ग्रहों पर आधारित पेड़-पौधे लगाए जाएंगे
इतना नहीं मंदिर परिसर में शांति वन की स्थापना होगी, इसमें अलग-अलग ग्रहों पर आधारित पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। यहां श्रद्धालु आकर बैठ सकते हैं। इसमें वाटर फाउंटेन लगेगा जिसके बीच में लेजर शो द्वारा गणेश भगवान की पौराणिक कथाओं का चित्रण होगा। इस मंदिर में रोबोट पंडित की भूमिका के साथ ही श्रद्धालुओं को दर्शन, प्रसाद वितरण में सहायता, भीड़ नियंत्रण, साफ-सफाई, बिजली प्रबंधन आदि का काम करेगा।
धर्मशाला और अस्पताल भी बनेगा
यहां भगवान गणेश के नाम पर मंडप होगा। वहीं मंदिर प्रागंण में 3 मंजिली धर्मशाला बनेगी जिसमें 108 कमरे बनाए जा रहे है। सभी कमरे वातानुकूलित बनाए जा रहे है। इसमें साधु-संतों के साथ ही बाहर से पूजा करने आने वाले श्रद्धालु रह सकते हैं। विवाह मंडप भी बनेगा जिसमें लोग शादी, उपनयन संस्कार, मुंडन आदि करा सकते है। मंदिर में अस्पताल भी खोला जाएगा।
मंदिर में बच्चों के लिए सेल्फी जोन बनाया जाएगा। दूसरे तल पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित होगी। इसका निर्माण मिट्टी और गोबर से होगा। इसके निर्माण के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुश्मेश्वर से मिट्टी लाई जाएगी। यह मूर्ति पर्यावरण के अनुकूल होगी। मूर्ति का पेंट फूलों से प्राप्त रंगों से किया जाएगा। सबसे ऊपरी तल पर शिवलिंग स्थापित होगा, जहां श्रद्धालु जलाभिषेक कर सकते है। यह पहला मंदिर होगा जो पूरी तरह से सोलर की बिजली पर निर्भर होगा। मंदिर में जाने के लिए स्वचालित सीढ़ियां बनाई जाएगी। ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर प्रांगण में वेद विद्यालय की स्थापना होगी, जिसमें प्रथमा से 10वीं तक की शिक्षा दी जाएगी। इस विद्यालय में मंदिर के सेवक के साथ बाहर के बच्चे भी नामाकंन करा पाएंगे। सभी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी।