रेल व महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए संशोधित एसओपी लॉन्च की
रायपुर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। महिलाओं और बच्चों के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने में भारतीय रेल के महत्वपूर्ण योगदान…
रायपुर
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। महिलाओं और बच्चों के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने में भारतीय रेल के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना करते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रेलवे को आश्वासन दिया है कि महिलाओं और बच्चों के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के उसके प्रयासों में फंडिंग बाधा नहीं बनेगी। देशभर में रेल परिसरों में पाए जाने वाले कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक पहल में, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से 25 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली के रेल भवन में अद्यतन मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) शुरू की है। यह व्यापक एसओपी भारतीय रेल के संपर्क में आने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए मजबूत ढांचे की रूपरेखा तैयार करती है।
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने के दौरान, एमओडब्ल्यूसीडी के सचिव अनिल मलिक ने उन्नत रेल स्टेशनों पर सीसीटीवी और चेहरा पहचान तकनीक स्थापित करने जैसे उपायों के माध्यम से किशोरों की सुरक्षा बढ़ाने की पहल के लिए भारतीय रेल की सराहना की। प्रतिदिन 2.3 करोड़ से अधिक लोग रेल से यात्रा करते हैं, जिनमें 30 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं-जिनमें से कई अकेले यात्रा करती हैं झ्र ऐसे में कमजोर समूहों, विशेष रूप से किशोरों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता है, जो मानव तस्करों द्वारा शोषण का जोखिम उठाते हैं। कार्यक्रम में, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (एएचटीयू) को मजबूत करने के महत्व पर एमओडब्ल्यूसीडी अधिकारियों को जानकारी दी और असम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से तस्करी को रोकने और यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर इन इकाइयों को स्थापित करने का आग्रह किया।
आरपीएफ यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही है कि उसके परिसर का उपयोग मानव तस्करों द्वारा बच्चों को लाने- ले जाने को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जाए। आरपीएफ ने पिछले पांच वर्षों में 57,564 बच्चों को तस्करी से बचाया है। इनमें 18,172 लड़कियां थीं। इसके अलावा बल ने यह सुनिश्चित किया कि इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे अपने परिवारों से मिल जाएं। 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्तेझ्के तहत, आरपीएफ ने पूरे रेल नेटवर्क में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित पहलों की श्रृंखला शुरू की है। बाल तस्करी की निरंतर चुनौती को पहचानते हुए, आरपीएफ के "ऑपरेशन एएएचटी" ने 2022 से2,300 से अधिक बच्चों को बचाने और 674 तस्करों को पकडने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह उपलब्धि तस्करी और शोषण से निपटने के लिए आरपीएफ के अथक समर्पण को रेखांकित करती है।