सोलर पैनल भी मार रहा करंट

भोपाल। मप्र में सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली भी उपभोक्ताओं को करंट मार रही है। दरअसल, विद्यतु नियामक आयोग ने सोलर बिजली के लिए फिक्स चार्ज लागू कर…

सोलर पैनल भी मार रहा करंट

भोपाल। मप्र में सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली भी उपभोक्ताओं को करंट मार रही है। दरअसल, विद्यतु नियामक आयोग ने सोलर बिजली के लिए फिक्स चार्ज लागू कर दिए हैं। सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली के लिए यह फिक्स चार्ज तब देना होगा, जब आप बिजली कंपनियों से सोलर पावर से पैदा होने वाली बिजली वापस लेते हैं। इसके लिए उपभोक्ताओं को 700 रुपए तक बिजली बिल देना होगा। जानकारों का कहना है कि इस कारण सूरज की रोशनी से बिजली बनाने के मामले में मप्र पिछड़ गया है। हालांकि मार्च से अगस्त तक 5 महीने में सिर्फ 5 मेगावाट क्षमता बढ़ी है। केंद्र सरकार की वेबसाइट अक्षय ऊर्जा के अनुसार मध्य प्रदेश में अगस्त 2024 तक 402 मेगावाट क्षमता के घरेलू सोलर पैर्मल लग चुके हैं। अगस्त में गुजरात में यह आंकड़ा बढकऱ 4195 और महाराष्ट्र में 2487 मेगावाट हो गया।
सोलर ऊर्जा से सस्ते में बिजली के लिए लोगों में सोलर पैनल का रुझान तेजी से बढ़ा है। मप्र में 11 हजार से ज्यादा घरों में सोलर पैनल लग चुके हैं। राजधानी भोपाल में ही ढाई हजार घरों पर सोलर पैनल लग चुके हैं। केन्द्र सरकार भी सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए पीएम सूर्य घर योजना चला रही है, जिसमें 3 किलो वॉट तक का सोलर पैनल लगाने पर उपभोक्ताओं को सब्सिडी भी दी जा रही है। हालांकि, मप्र में विद्युत नियामक आयोग ने सोलर ऊर्जा के उपभोक्ताओं को फिक्स चार्ज लगाकर झटका दे दिया है। ये चार्ज मप्र में ही लिया जा रहा है। इस कारण महाराष्ट्र और गुजरात की तुलना में मप्र बहुत पीछे हैं।

सोलर पैनल पर फिक्स चार्ज
विद्युत नियामक आयोग ने जो फिक्स चार्ज निर्धारित किया है, वह भी चौंकाने वाला है। दरअसल, सोलर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली के अतिरिक्त बिजली कंपनी से 3 किलोवॉट से ज्यादा बिजली जलाने पर 729 रुपए देने होंगे। यही नहीं खपत से ज्यादा बिजली उत्पादन करने पर भी 540 रुपए बिजली कंपनी को चुकाने होंगे। अभी मप्र में सोलर पैनल उपभोक्ताओं को 1.80 प्रति यूनिट की दर से फिक्स चार्ज है। यानी तीन किलोवॉट क्षमता के सोलर पैनल लगाने वालों को महीने भर में सिर्फ 540 रुपए इसके एवज में देने पड़ रहे हैं। हालांकि मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इसके लिए तीन बार नियम भी बदले। इसमें ही फिक्स चार्ज के आंकड़े दर्शाए गए हैं। इसके अनुसार मप्र में 31 मार्च 2024 तक सिर्फ 397 मेगावाट क्षमता के ही घरेलू सोलर पैनल लग पाए हैं। गुजरात में 3456 मेगावाट और महाराष्ट्र में 2072 मेगावाट के घरेलू सोलर पैनल लग चुके हैं। इस आदेश में बताया गया है कि मप्र में गुजरात की तुलना में 11 प्रतिशत और महाराष्ट्र की तुलना में 19 प्रतिशत ऐसे सोलर पैनल लगे हैं। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि सोलर प्रोजेक्ट के मामले में मप्र अग्रणी राज्यों में है। रूफटॉप सोलर में भी प्रोग्रेस हुई है। चार्ज संबंधी बिंदु विभाग के संज्ञान में है। विधि विशेषज्ञों से राय ली गई है। एक समिति इसका विश्लेषण कर रही है।

इस तरह महंगी पड़ रही बिजली
इस नियम से सोलर उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ सकती है। अगर आपके घर पर 3 किलोवॉट का सोलर पैनल लगा है और इससे एक माह में 450 यूनिट बिजली पैदा हो रही है लेकिन इसमें से आप 300 यूनिट बिजली की ही खपत करते हैं तो ज्यादा बिजली उत्पादन पर इसे बिजली कंपनी को देंगे तो कम से कम 540 रुपए बिजली कंपनी को देना होगा। इसी तरह यदि 3 किलोवॉट सोलर पैनल से यदि एक माह में 375 यूनिट बिजली पैदा हुई और उपभोक्ता 380 यूनिट बिजली की खपत करता है और बाकी 5 यूनिट बिजली को बिजली कंपनी से खरीदता है तब भी उपभोक्ता में फिक्स चार्ज के रूप में 729 यूनिट बिजली बिल देना होगा।  प्रधान मंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना शुरू की गई है। इसके तहत एक करोड़ घरों में 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। इस योजना में तीन किलोवाट क्षमता के सौर पैनल लगाने पर 78000 की सब्सिडी का प्रावधान भी है। घरेलू सोलर पैनल के लिए 2015 में नियम बनाए गए। इसमें दो बार बदलाव के बाद 15 जुलाई 2022 को नया रेगुलेशन बना। इसमें प्रावधान कर दिया गया कि घरेलू सोलर पैनल द्वारा ग्रिड में दी गई बिजली वापस लेने पर सामान्य खुदरा टैरिफ उपभोक्ता को देना होगा। इसके बाद भी वितरण कंपनी ने रेगुलेशन के हिसाब से उपभोक्ताओं से यह नहीं वसूला। 14 मार्च 2024 को आयोग ने नया रेगुलेशन बनाया। इसमें रहवासी समितियों, बहुमंजिला इमारत और उपभोक्ताओं द्वारा सोलर पैनल लगाने पर फिक्स चार्ज लिए जाने का प्रावधान कर दिया। रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक सोलर बिजली के नाम पर उपभोक्ता से फिक्स चार्ज लेना अव्यवहारिक और सौर ऊर्जा की अवधारणा के विपरीत है। उन्होंने कहा कि सौर उपभोक्ता पर टैरिफ लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि वह बिजली कंपनी की सेवा लेता है न कि उससे बिजली खरीदता है। फिक्स चार्ज भी टैरिफ का एक हिस्सा है।