प्रदेश के वनों में भी विचरण करेंगे एक सींग वाले गेंडा

भोपाल । मप्र वन्यजीवों के मामलों में अब देश के शीर्ष प्रदेशों में शामिल होने के लिए दस्तक दे रहा है। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में प्रदेश…

प्रदेश के वनों में भी विचरण करेंगे एक सींग वाले गेंडा

भोपाल । मप्र वन्यजीवों के मामलों में अब देश के शीर्ष प्रदेशों में शामिल होने के लिए दस्तक दे रहा है। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में प्रदेश को टाइगर, तेंदुआ, घडिय़ाल के बाद चीता प्रदेश होने का तमगा मिल चुका है। इसके बाद अब जल्द ही प्रदेश में कुछ और दुर्लभ वन्य जीव दिखाई देंगे। इनमें प्रमुख रुप से एक सींग वाले गेंडे यानी राइनो भी शामिल होने जा रहा है।  मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव के निर्देश के बाद वन विभाग इसकी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। गेंडों के लिए अनुकूल आवास तलाशने के लिए वन विभाग ने देहरादून के वन्यजीव संस्थान से मदद मांगी है। इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा किंग कोबरा को भी ट्रांसलोकेट किया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लुप्त होने वाले वन्यजीवों को संरक्षित किया जाए। ऐसे वन्यजीवों को प्रदेश के वनों में बसाया जाए, जो अब लुप्त होने की कगार पर आ गए हैं। इसको देखते हुए वन विभाग प्रदेश के वनों में गेंडे और किंग कोबरा को बसाने की तैयारी कर रहा है। इनके लिए अनुकूल आवास तलाशे जा रहे हैं।

गेंडे गंभीर संकट वाले जीवों में शामिल
दरअसल गेंडे अति गंभीर संकट वाले श्रेणी के जीवों में शामिल है। दुनियाभर में करीब 4 हजार गेंडे ही बचे हैं। इनमें से 2900 भारत में हैं। इनमें से भी 2500 से अधिक असम में हैं। इसके अलावा बंगाल और उत्तरप्रदेश के दूधवा नेशनल पार्क में गेंडे हैं। अगर प्रदेश के वनों में गेंडे लाए जाते हैं, तो यह देश का चौथा राज्य हो जाएगा, जहां गेंडे मिलेंगे।

किंग कोबरा सर्प के लिए भी तैयारी
प्रदेश के वनों में किंग कोबरा सर्प को भी लाया जाएगा। इसके लिए वन विभाग प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। मप्र में किंग कोबरा सांप तो पाया जाता है, पर इसकी संख्या बहुत कम हो गई है। किंग कोबरा सांप मुख्य रूप से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के शिवालिक और तराई क्षेत्रों में और पूर्वी घाटों में पाया जाता है। इसके अलावा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार, केरल कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में भी पाया जाता है। इनकी कोई गणना नहीं होती। इस वजह से इनके आंकड़े उपलब्ध नहीं है। इसके लिए कर्नाटक से बात चल रही है। इन्हें मप्र लाने के लिए ट्रांसलोकेट करना होगा, जिसकी अनुमति भारत सरकार से मिलेगी। यह दुनिया का सबसे लंबा विषधर सर्प है, जिसकी लंबाई 5।6 मीटर तक होती। भारतीय किंग कोबरा सांप खाने वाला सांप है।

बाघों की भी पुनस्र्थापना
प्रदेश के कुछ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या ज्यादा है, तो कुछ वनक्षेत्रों में कम बाघ है। इसको देखते हुए इनकी पुनस्र्थापना भी की जा रही है। इसके तहत शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में 5 बाधो की पुनस्र्थापना की जानी है। भारत सरकार के पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति मिल चुकी है। अब तक 2 बाघों को यहां भेजा जा चुका है। जल्द ही माधव राष्ट्रीय उद्यान में दो और बाधों की पुनस्र्थापना की जाएगी।