“क्या पृथ्वी शॉ के करियर की गिरावट का कारण यशस्वी जायसवाल हैं?”
पृथ्वी शॉ इस वक्त चर्चाओं में हैं. चर्चा की वजह अच्छी नहीं. दरअसल ये खिलाड़ी आईपीएल 2025 ऑक्शन में नहीं बिका. पृथ्वी का बेस प्राइस सिर्फ 75 लाख रुपये था…
पृथ्वी शॉ इस वक्त चर्चाओं में हैं. चर्चा की वजह अच्छी नहीं. दरअसल ये खिलाड़ी आईपीएल 2025 ऑक्शन में नहीं बिका. पृथ्वी का बेस प्राइस सिर्फ 75 लाख रुपये था लेकिन इसके बावजूद पृथ्वी को किसी टीम ने नहीं खरीदा. पृथ्वी टीम इंडिया से बाहर हो चुके हैं. हाल ही में उन्हें मुंबई ने भी रणजी ट्रॉफी के दो मैचों से बाहर कर दिया था और अब आईपीएल में उनका ये हाल हुआ है. यहां सवाल ये है कि आखिर पृथ्वी का करियर बर्बादी की ओर क्यों जा रहा है? पृथ्वी की इस हालत पर उनके पूर्व कोच ज्वाला सिंह ने बड़ा बयान दिया.
शॉ ने कोच को नहीं दी अहमियत
ज्वाला सिंह ने बताया कि वो पिछले 7 सालों से पृथ्वी से नहीं मिले हैं. अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद उसने मुझसे मुलाकात ही नहीं की. ज्वाला ने खुलासा किया, ‘पृथ्वी मेरे पास 2015 से 2017 तक मेरे साथ था. जब आया था तो मुंबई के अंडर 16 के आखिरी 2-3 मैच नहीं खेला. वो हमारे घर के पास ही रहते थे. उस वक्त रन नहीं बन रहे थे. 10-15 खेलने आया, वहां से जर्नी शुरू हुआ. इसके बाद अगले साल कूच बेहार अंडर 19 खेला. उसपर काफी काम किया, बहुत टैलेंटेड था. जब अंडर 19 वर्ल्ड कप हुआ तो मुझे काफी खुशी हुई. वो मेरा पहला लड़का था जो अंडर 19 खेला. अंडर 19 वर्ल्ड कप के बाद मैंने आजतक उसे नहीं देखा. जाने से पहले मिला था, उसके बाद से गायब है. 2017 के बाद 2024 के बाद से मैंने उसे नहीं देखा. 7 साल से वो मुझसे मिला ही नहीं. जब मैं उससे मिला ही नहीं तो क्या बोलूं कि उसका डाउनफॉल कैसे आया.’
यशस्वी के भी कोच हैं ज्वाला
ज्वाला सिंह का एक और शागिर्द इस वक्त दुनियाभर में धूम मचा रहा है. बता दें ज्वाला यशस्वी जायसवाल के भी कोच हैं. उन्होंने बताया कि आखिर क्यों जायसवाल इंटरनेशनल क्रिकेट में अच्छा कर रहे हैं और क्यों पृथ्वी शॉ का ये हाल है. ज्वाला ने कहा, ‘टैलेंट एक बीज या पौधे के समान होता है, उसे अगर बड़ा पेड़ बनना है तो लगातार मेहनत तो करनी ही होगी. आपकी लाइफ स्टाइल, वर्क एथिक्स और अनुशासन सबकुछ चाहिए. इंटरनेशनल क्रिकेट में बने रहने के लिए आपको लगातार गेम पर काम करना होगा. सचिन ने भी यही किया. प्लेयर तभी भटकता है जब वो अपने प्रोसेस से हटता है. यशस्वी बहुत मेहनत करता है वर्क एथिक्स कमाल है. उसे पता है कि काम कैसे करना है. बस यही शॉ और जायसवाल में फर्क है.’