मप्र में गौपालन बनेगा लाभ का धंधा

भोपाल। मप्र में खेती-किसानी के साथ ही सरकार गौपालन को भी लाभ का धंधा बनाने जा रही है। दरअसल, सरकार का फोकस प्रदेश में दूध उत्पादन पर है। इसके लिए…

मप्र में गौपालन बनेगा लाभ का धंधा

भोपाल। मप्र में खेती-किसानी के साथ ही सरकार गौपालन को भी लाभ का धंधा बनाने जा रही है। दरअसल, सरकार का फोकस प्रदेश में दूध उत्पादन पर है। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देश के दूध उत्पादन में मप्र की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए पशुपालन को बढ़ावा पर जोर दिया है। इसके मद्देनजर पशुपालन विभाग के तैयारी शुरू कर दी है और प्रस्ताव बनाया है। पशुपालन विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी इस मामले में निर्णायक साबित हो सकती है।
गौरतलब है कि दुग्ध उत्पादन में मप्र का स्थान पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश और राजस्थान के बाद आता है। राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल दुग्ध उत्पादन 230.58 मिलियन टन है। जिसमें मप्र की भागीदारी मात्र 8.73 प्रतिशत है। जबकि 15.72 प्रतिशत के साथ उत्तरप्रदेश पहले और 14.44 प्रतिशत भागीदारी के साथ राजस्थान दूसरे नंबर है। पशुपालन विभाग द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव के अनुसार उन्नत नस्ल की गाय पालने पर बैंक जहां किसानों को ऋण मुहैया कराएंगे, वहीं इनकी बछिया को पालपोस कर बेचने पर सरकार द्वारा बोनस भी दिया जाएगा। दरअसल, देश के दुग्ध उत्पादन में मप्र का 9 प्रतिशत भी योगदान नहीं है।

गाय पालने पर ऋण, बछिया बेचने पर बोनस
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का फैसला किया है। इसके तहत भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम को बढ़ावा दिया गया है। वहीं, अब गौपालन के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। जिसके बाद उन्नत नस्ल की गाय पालने पर बैंक ऋण मुहैया कराएंगे तथा बछिया बेचने पर सरकार द्वारा बोनस भी दिया जाएगा। किसानों को भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक और आईवीएफ से पैदा हुई उन्नत नस्ल की बछिया उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके साथ ही इनकी कीमत नस्लों के अनुसार तय की जाएगी। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पशुपालन विभाग द्वारा नस्ल सुधार पर जोर दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में 13 नस्ल की गायों और 4 नस्लकी भैंसों का संरक्षण होता है। वहीं, देसी गायों की नस्ल में सुधार के लिए अच्छी नस्ल के बच्चे, भ्रूण और सीमन पशुपालकों को उपलब्ध कराए जाते हैं। पशुपालकों से मात्र 100 रुपए के शुल्क पर गायों का नस्ल सुधार किया जाता है। वर्ष 2019 की पशु संगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में गौवंश पशु  संख्या देश में तीसरे स्थान पर 187.50 लाख है, वही भैंस वंश पशु संख्या चौथे स्थान पर 103.5 लाख है। संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग पीएस पटेल का कहना है कि डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये तैयार यह प्रस्ताव अभी पाइप लाइन में है। मंजूरी के लिये इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा।

नगरीय क्षेत्रों में बनाई जा रही गौशालाएं
आवारा गौवंश पर नियंत्रण और संरक्षण के लिये नगरीय क्षेत्रों में जहां गौशालाएं बनाई जा रही है, वहीं दुग्ध बिक्री पर बोनस भी देने का निर्णय लिया जा चुका है। चरनोई की भूमि से अतिक्रमण हटाए जा रहे है। प्रदेश में संचालित 2500 गौ-शालाओं में 4 लाख से अधिक गौ-वंश का पालन किया जा रहा है। राजधानी के बरखेड़ी डोब क्षेत्र में 10 हजार गौ-वंश क्षमता वाली हाइटैक गौ-शाला बनाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा भूमि-पूजन भी किया जा चुका है।

गौपालन में 10 लाख के कर्ज में 25 प्रतिशत सब्सिडी
प्रदेश के शहरों के सडक़ों पर आवारा घूमने वाले साढ़े तीन लाख से ज्यादा आवारा पशुओं को गौशाला में लाने के लिए मप्र सरकार पूरी ताकत से जुट गई। इसके लिए तरह-तरह की योजनाएं लाई जा रहे हैं ताकि किसान भी गौपालन की ओर रुचि बढ़ाएं। मप्र के बड़े शहरों की सडक़ों पर करीब साढे तीन लाख आवारा पशु सडक़ों पर है जिन्हें गौशालाओं में लाने के लिए सरकार वन्य विहार खोल रही है और किसानों को 10 लख रुपए तक का कर्ज देकर डेयरी खोलने के लिए प्रेरित कर रही है जिसमें किसानों को 25 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी जाएगी। पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने बताया कि शहरों में आवारा पशुओं को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विशेष फोकस है और इसके लिए वह लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस समस्या का निदान  दो-चार दिन में नहीं हो सकता है। हमारा जो अभी प्लान है उसमें करीब 50 प्रतिशत आवारा पशुओं को हम रोड से बाहर ले आएंगे। इसके लिए प्रदेश के करीब 12 जगह वन्य विहार बनाए जा रहे हैं और इसके लिए जगह भी तय कर ली गई हैं। उसके प्रस्ताव भी हमारे पास आ गए हैं। एक वन विहार में करीब 10 हजार गायों को रखा जाएगा।