महिला केंद्रित योजनाओं का असर: 19 राज्यों में महिला वोटरों की संख्या में बड़ा इजाफा
चुनावों में लगातार महिला वोटरों का उत्साह बढ़ता जा रहा है और किसी की जीत हार में उसकी भूमिका भी स्पष्ट होती जा रही है। वर्ष 2019 के आम चुनाव…
चुनावों में लगातार महिला वोटरों का उत्साह बढ़ता जा रहा है और किसी की जीत हार में उसकी भूमिका भी स्पष्ट होती जा रही है। वर्ष 2019 के आम चुनाव के मुकाबले वर्ष 2024 के आम चुनाव में 1.8 करोड़ ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले हैं। यह आंकड़ा तो पिछले दिनों चुनाव आयोग ने ही जारी किया था। लेकिन एसबीआइ की रिसर्च टीम ने इस बात का पता लगाया है कि महिला वोटरों की संख्या बढ़ने के पीछे वजह क्या है।
पीएम जन धन योजना और मुद्रा खाता खोलने से दिखा अंतर
रिसर्च से यह बात सामने आती है कि जिन राज्यों में महिला केंद्रित योजनाएं लॉंच की गई हैं, वहां महिला वोटरों की संख्या उन राज्यों के मुकाबले तेजी से बढ़ी हैं जहां इस तरह की योजनाएं लॉंच की गई हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि जिन राज्यों में पीएम जन धन योजना और मुद्रा खाता खोलने में महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा है वहां भी महिला वोटरों की संख्या दूसरे राज्यों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिसर्च रिपोर्ट में महिला केंद्रित योजना लागू करने वाले राज्यों की संख्या 19 बताई गई है जिसमें असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्य हैं। इन राज्यों में औसतन 7.8 लाख (कुल 1.5 करोड़) महिला वोटरों की संख्या बढ़ी है। यह तुलना वर्ष 2019 के मुकाबले 2024 का है। जबकि गोवा, आंध्र प्रदेश व अन्य राज्य जहां महिला केंद्रित योजनाओं पर ज्यादा फोकस नहीं किया गया है वहां महिला वोटरों की संख्या औसतन 2.5 लाख (कुल 30 लाख) ही बढ़ी है।
यह अध्ययन बताता है कि महिला साक्षरता बढ़ने का भी सीधा संबंध वोटरों की संख्या बढ़ने से है। एक फीसद महिला साक्षरता बढ़ने से महिला वोटरों की संख्या में 25 फीसद का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक साक्षरता बढ़ने से 45 लाख ज्यादा महिला वोटरों ने वोट दिया, रोजगार व मुद्रा योजनाओं की वजह से अतिरिक्त 30 लाख महिलाओं ने वोट डाले जबकि पीएम आवास नीति जहां महिलाओं को ज्यादा फायदा पहुंचाई हैं वहां महिला वोटरों की संख्या ज्यादा बढ़ी है।
वोटिंग प्रतिशत में दिखी गिरावट
इससे अतिरिक्त 20 महिलाओं ने वोट दिया है। मतलब साफ है कि जब महिलाओं का विकास होता है तो वह अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति भी ज्यादा सचेत होती हैं। यह रिसर्च कुछ दूसरे बेहद दिलचस्प आंकड़े भी पेश करती है। मसलन, पिछले 10 वर्षों में (2014 के मुकाबले) वोटिंग फीसद घटी है।
यह 66.4 फीसद से घट कर 66.1 फीसद हो गया है लेकिन एससी और एसटी वर्ग में वोटिंग फीसद में लगातार इजाफा हुआ है। पिछले दस वर्षों में कुल 9 करोड़ नये वोटरों ने वोट दिया है जिसमें महिलाओं का हिस्सा 5.3 करोड़ है। सरकार बनाने में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है।