पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा कर सकता हैं सरेंडर, दुबई से भारत लौटने की खबर
भोपाल: भोपाल के चर्चित कैश कांड के आरोपी पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में नया अपडेट सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सौरभ जल्द ही दुबई से भारत लौटने…
भोपाल: भोपाल के चर्चित कैश कांड के आरोपी पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में नया अपडेट सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सौरभ जल्द ही दुबई से भारत लौटने वाले हैं। देश लौटते ही वह लोकायुक्त के सामने सरेंडर करेंगे। सौरभ शर्मा और उनकी पत्नी के दुबई से भारत पहुंचने की खबर है। लोकायुक्त के सामने पेश होते ही प्रवर्तन निदेशालय पूर्व आरटीओ कांस्टेबल को गिरफ्तार कर सकता है। ईडी ने सौरभ के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है। बता दें कि 19 दिसंबर को लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर पर छापा मारा था। वहीं, 27 तारीख को ईडी ने छापेमारी की थी। इसके बाद एमपी के रईसजादे की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा हुआ था।
सौरभ शर्मा के चचेरे साले पर कसता शिकंजा
परिवहन विभाग की काली कमाई से अमीर बने पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के करीबियों पर आयकर विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सौरभ के चचेरे भाई विनय हसवानी की निगरानी में फार्म हाउस के अंदर 52 किलो सोने से भरी कार छिपाई गई थी। अब परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ की जाएगी। जानकारी के मुताबिक, सौरभ शर्मा ने रायपुर और उसके आसपास कई प्रॉपर्टी खरीदी हैं। जांच एजेंसियां सौरभ और बिल्डर राजेश शर्मा के बीच कनेक्शन की जांच कर रही हैं।
पूर्व कांस्टेबल के यहां मिली 235 किलो चांदी
19 दिसंबर को लोकायुक्त और आईटी ने सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापा मारकर 235 किलो चांदी, नकदी और 8 करोड़ रुपये के जेवरात बरामद किए थे। 19 दिसंबर की देर रात मेंडोरी के जंगल से एक इनोवा कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद मिले थे। कार लावारिस हालत में मिली थी। कार सौरभ के दोस्त चेतन सिंह गौर की थी।
कांस्टेबल से बिल्डर बना सौरभ
सौरभ शर्मा के पिता स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे। 2016 में उनकी मौत के बाद सौरभ ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। अक्टूबर 2016 में सौरभ शर्मा की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर हुई थी। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले सौरभ शर्मा की जिंदगी कुछ सालों में ही बदल गई। नौकरी के दौरान उनकी लाइफ स्टाइल आलीशान हो गई, जिसकी वजह से विभाग में उसके खिलाफ शिकायतें होने लगीं। कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वीआरएस ले लिया। इसके बाद उसने बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में निवेश करना शुरू कर दिया।