रेलवे बोर्ड ने ‘कवच’ सुरक्षा प्रणाली की अधिसूचना जारी की, लागू करने के नियम बनाए
ट्रेनों की स्वचालित सुरक्षा प्रणाली कवच को दक्षिण मध्य जोन के 1465 किलोमीटर मार्ग पर लगाए जाने के दो वर्ष बाद रेलवे बोर्ड ने हाल ही में इसकी अधिसूचना जारी…
ट्रेनों की स्वचालित सुरक्षा प्रणाली कवच को दक्षिण मध्य जोन के 1465 किलोमीटर मार्ग पर लगाए जाने के दो वर्ष बाद रेलवे बोर्ड ने हाल ही में इसकी अधिसूचना जारी कर इसे लागू करने के नियम बनाए हैं। जुलाई 2020 में कवच को राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के रूप में अपनाया गया था और फिर इसे 2023 में दक्षिण मध्य रेलवे में लगाया गया। इसे हर जगह लगाने का काम जारी है।
कवच एक रेडियो कम्यूनिकेशन आधारित नियंत्रण प्रणाली है
सुरक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि इसे लगाए जाने के बाद इसके काम करने और बेहतर बनाने के तरीकों के बारे में समझ बनीं, जिससे इसे लागू करने के नियम बनाने में आसानी हुई। बीते दो जनवरी को सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे संशोधित रेलवे एक्ट 1989 में शामिल कर दिया था।
अधिसूचना के अनुसार कवच एक रेडियो कम्यूनिकेशन आधारित नियंत्रण प्रणाली है, जो कवच से जुड़े स्थानों पर, कवच से लैस ट्रेनों में लोको पायलट को अतिरिक्त सहायता मुहैया कराती।
कवच के लिए 5133 किलोमीटर आप्टिकल फाइबर बिछाई जा रही
नवंबर 2024 तक कवच के लिए 5133 किलोमीटर आप्टिकल फाइबर केवल बिछाने, 540 टेलीकाम टावर लगाने, 707 ट्रेनों के साथ 523 रेलवे स्टेशनों को कवच से लैस बनाने और पटरियों के किनारे 3,434 किलोमीटर में उपकरणों को लगाने का काम पूरा हो चुका है।
सुरक्षा कर्मियों के लिए पर्याप्त आराम सुनिश्चित करें
केंद्रीय रेलवे ने अपने विभागीय अधिकारियों से कहा है कि वे मंत्रालय के 2016 के दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा से जुड़े कर्मचारियों के लिए सही रोस्टर बनाएं, ताकि उन्हें पर्याप्त साप्ताहिक आराम मिल सके।
यह काम बिना अतिरिक्त कर्मचारी की जरूरत के मौजूदा कर्मचारियों में ही पूरा किया जाए। इसे प्राथमिकता से पूरा किया जाए। रेलवे के दिशानिर्देशों में 40 घंटे का न्यूनतम साप्ताहिक आराम सुनिश्चित किए जाने की सिफारिश की गई थी।
रेलवे का कवच प्रोटेक्शन सिस्टम क्या है?
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है। इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था। उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था।
इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है। इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था। पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था।
कवच रोक सकता है ट्रेनों की टक्कर?
दरअसल, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णवने बीते दिनों राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि भारतीय रेलवे ने दुर्घटना रोकने के लिए एक प्रणाली ‘कवच’ को चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू किया है जिसकी मदद से ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकता है।