मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की हड़ताल

राजधानी भोपाल में असर नहीं; इंदौर- उज्जैन में दिखा विरोध भोपाल । मध्यप्रदेश में गुरूवार को एमपी बोर्ड के पहली से आठवीं कक्षा तक के प्राइवेट स्कूल बंद हैं। बंद…

मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की हड़ताल

राजधानी भोपाल में असर नहीं; इंदौर- उज्जैन में दिखा विरोध

भोपाल । मध्यप्रदेश में गुरूवार को एमपी बोर्ड के पहली से आठवीं कक्षा तक के प्राइवेट स्कूल बंद हैं। बंद का आह्वान एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया है। मान्यता के नियम में रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की शर्त के विरोध में बंद बुलाया गया है। इंदौर, जबलपुर, उज्जैन समेत प्रदेश के अन्य जिलों में बंद का असर देखा जा रहा है। हालांकि, इसका असर राजधानी भोपाल में नहीं देखा गया। प्राइवेट स्कूल संचालक एसोसिएशन के अनुसार इसका प्रभाव शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में नजर आया हैं। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि सरकार ने मान्यता के नियमों को बहुत जटिल बना दिया है, जिससे सबसे अधिक कठिनाई ग्रामीण जिलों में हो रही है। वहीं एफडी अमाउंट लिया जा रहा है।सत्र 2025-26 की मान्यता में कई स्कूलों के बंद होने की संभावना है। स्कूल बंद होने से उनमें कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं और इससे जुड़े संस्थान भी प्रभावित होंगे। बच्चों की शिक्षा पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। वर्तमान में प्राइवेट स्कूलों से राजस्व बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि पहले शिक्षा के महत्व को समझते हुए मान्यता नियमों को सरल रखा गया था। ऐसे में सवा लाख से अधिक शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों के बेरोजगार होने की संभावना है।

जबलपुर में जुटे स्कूल संचालक
जबलपुर में टाउन हॉल में गांधी प्रतिमा के सामने निजी स्कूलों के संचालकों ने विरोध प्रदर्शन किया गया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए एसडीएम अभिषेक सिंह को मांग पत्र सौंपा। प्राइवेट स्कूलों के संचालकों ने बताया कि, शिक्षा विभाग के 40 हजार रुपए डिपॉजिट, 4 हजार रुपए वार्षिक मान्यता शुल्क समेत 12 साल पुरानी स्कूल बसों के संचालन पर रोक लगाने जैसे नियमों में संशोधन किये जाने की मांग की जा रही हैं।

उज्जैन में स्कूल संचालकों ने की नारेबाजी
उज्जैन में 50 से ज्यादा स्कूल संचालकों ने अपने-अपने स्कूल बंद कर टावर चौक पर प्रदर्शन किया। इस दौरान नारेबाजी करते हुए संचालक दशहरा मैदान स्थित शिक्षा विभाग के कार्यालय पहुंचे और डीपीसी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर सभी आदेशों को निरस्त करने की मांग की। अशासकीय शाला संगठन के संभागीय अध्यक्ष एस.एन. शर्मा ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन की नई मान्यता नीति उन छोटे-छोटे निजी स्कूलों के अस्तित्व को संकट में डाल रही है, जो सीमित संसाधनों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास करते हैं। यदि यह नीति लागू होती है, तो कई छोटे स्कूल बंद होने की कगार पर आ जाएंगे। एमपी बोर्ड से संचालित स्कूलों पर रजिस्टर्ड किरायानामा सहित मान्यता के लिए 40,000 रुपये की सुरक्षा निधि की राशि जमा करने का आदेश आया है, जो अस्वीकार्य है। उज्जैन में 80 फीसदी स्कूल किराए की जगह पर संचालित हो रहे हैं।