कांगेर घाटी में 75 लाख का कैम्पा घोटाला उजागर , सिर्फ 35 मीटर के स्टापडेम में खपा दिया 8700 बोरी सीमेंट

कांगेर घाटी में 75 लाख का  कैम्पा घोटाला उजागर , सिर्फ 35 मीटर के स्टापडेम में खपा दिया 8700 बोरी सीमेंट

चार साल पहले बह चुके स्टॉप डेम के नाम पर हर साल लूटा जा रहा कैम्पा का खजाना

रेत और गिट्टी बीजापुर की और मज़दूर रायपुर के 

सामग्री और मज़दूरी के नाम पर बनाये गए फ़र्ज़ी वाउचर

एक पूर्व विधायक के दामाद की भी रही विशेष भूमिका

जगदलपुर ।(हाईवे चैनल)बस्तर का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान इन दिनों भ्रष्टाचार का उद्यान बना हुआ है।राजधानी में मोटी रकम अर्पित कर पोस्टिंग पाने वाले रेंजर और एसडीओ इस उद्यान में दिन रात भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं।बड़े अधिकारी और नेता सभी इस भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हैं यही वजह है कि यह राष्ट्रीय उद्यान भ्रष्टाचार का राष्ट्रीय उद्यान बना हुआ है।ताज़ा मामला यहां के कोटमसर रेंज का है।जहां आज से पांच साल पहले बने और बनने के तुरंत बाद बह चुके एक स्टॉप डैम के नाम पर कैम्पा के 75 लाख रुपये ठिकाने लगाए जा चुके हैं।पैसों की भूख इतनी की मात्र 35 मीटर लंबे स्टॉप डैम के लिए वन अधिकारियों ने करीब 9 हज़ार बोरी सीमेंट की बोगस खरीदी कर ली । रेत ,गिट्टी और लोहे के फ़र्ज़ी बिल बीजापुर की एक फर्म से खरीदे गए और इतना ही नहीं जिनसे कथित रूप से मज़दूरी कराई गई है वे मज़दूर भी रायपुर और सुकमा के रहने वाले हैं। 

 पूर्व काँग्रेसी विधायक के दामाद की भी थी हिस्सेदारी

भ्रष्टाचार की यह कहानी एक पूर्व काँग्रेसी विधायक के दामाद से भी जुड़ी हुई है।कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान के मान्दरकोंटा के कक्ष क्रमांक 163 में मुनगा बहार नाला पर कैम्पा मद से एक स्टॉप डैम बनाने का कार्य स्वीकृत किया गया जिसकी लागत 75 लाख रुपए थी।कैम्पा के एपीओ वर्ष 2019-20 में स्वीकृत इस कार्य को वन अधिकारियों ने अघोषित रूप से एक पूर्व काँग्रेसी विधायक के दामाद को तोहफे के रूप में प्रदान कर दिया।बस यहीं से शुरू हुआ इस 75 लाख रुपये को ठिकाने लगाने का कार्यक्रम।शुरुआती वर्ष में 705000 रुपये से 3000 बोरी सीमेंट ,312900 रुपये से रेत और गिट्टी तथा 267560 रुपये का लोहा बस्तर के वन अधिकारियों की चहेती फर्म रजा सेल्स से खरीदा गया। इस वर्ष 2019-20 में करीब 13 लाख रुपये की सामग्री तो खरीदी गई लेकिन कागजों में मज़दूरी भुगतान के नाम पर चवन्नी भी खर्च नहीं कि गई।जानकार समझ गए होंगे कि यह 13 लाख रुपये विधायक के दामाद जी को गिफ्ट के रूप में दिए गए थे ।

सिर्फ 6 महीनों में ही बह गया स्टॉप डैम

 डेड़ साल बाद बची हुई राशि से कार्य की शुरुआत हुई।उच्चाधिकारियों के दबाव के बाद अचानक 2021 के दिसंबर माह में 7 से 31 दिसंबर के बीच किसी अन्य ठेकेदार से स्टॉपडेम का निर्माण करवाया गया।इस बीच 375121 रुपये का भुगतान रायपुर के श्रमिकों को करना बताया गया। पहले बोगस बिलों से खरीदी गई निर्माण सामग्री से तो काम हो नहीं सकता था लिहाज़ा इधर उधर के प्रोजेक्ट से निर्माण सामग्रियों का एडजस्टमेंट किया गया। इसीलिए इस वर्ष विभाग के खातों में किसी भी निर्माण सामग्री की खरीदी का उल्लेख नहीं किया गया।बहरहाल कहीं की मिट्टी कहीं का रोड़ा वाले स्टाईल में यह ऐतिहासिक स्ट्रक्चर तैयार तो हो गया लेकिन छः महीने बाद हुई बारिश में बह गया।इस 35 मीटर लंबे स्टॉप डेम के दर्जन भर टुकड़े हो गए जो आज भी मुनगाबहार नाला के इर्द गिर्द पड़े हुए हैं।यह भ्रष्टाचार की इस कहानी का मध्यांतर था।इसके बाद शुरू हुई आगे की कहानी।

वर्तमान रेंजर ने भी खुल कर किया भ्रष्टाचार

2023 में यहां विंसेंट जेकब की पदस्थापना पार्क रेंजर के रूप में हुई।उन्होंने भी इस बहते मुनगाबहार नाले में खूब हाथ धोया।इस साल इस खंडहर में बदल चुके स्टॉप डैम के लिए विंसेंट जेकब ने 10 लाख रुपये का सीमेंट 5 लाख की गिट्टी ,सवा 6 लाख की रेत और 45 हज़ार का लोहा खरीदा है। इसमें से एक रुपये की सामग्री भी निर्माण स्थल तक नहीं पहुंची है।कागजों में इस खरीदी के छह माह बाद 8 अगस्त और 25 अक्टूबर के बीच सुकमा के मजदूरों के नाम से फर्जी वाउचर बना कर लाखों का भुगतान किया गया है।कोटमसर और तीरथगढ़ इलाके में श्रमिकों की कोई कमी नहीं है फिर भी सुकमा के श्रमिकों से काम कराना बताया गया है। वैसे ही रेत,गिट्टी और सीमेंट जैसी आसानी से उपलब्ध होने वाली सामग्री की खरीदी भी बीजापुर के माजीसा ट्रेडर्स से दर्शायी गई है।

सामग्री की जगह माजीसा ट्रेडर्स से खरीदे गए बोगस बिल 

यह स्टॉप डैम वनविभाग के अधिकारियों के लिए एटीएम जैसा था। जब जब इन्हें खुद के लिए पैसों की ज़रूरत होती थी इस स्टॉपडेम का काम कागजों में शुरू कर दिया जाता था।पिछले साल इस प्रोजेक्ट के लिए कैम्पा की बची हुई राशि भी साफ कर दी गई है।रेंजर विंसेंट जेकब द्वारा 2023 की तरह 2024 में भी जमकर बोगस खरीदी की गई है।इस वर्ष माजीसा ट्रेडर्स से 745000 का सीमेंट,558000 की गिट्टी ,192000 की रेत खरीदी गई है जो अब तक भ्रष्टाचार के इस मौका ए वारदात तक नहीं पहुंच सकी है।इतना ही नही इसी वर्ष 3 फरवरी से लेकर 25 फरवरी तक सुकमा के श्रमिकों के नाम से जमकर फ़र्ज़ी वाउचर बनाये गए हैं और 184508 रुपये का सीधे सीधे गबन कर लिया गया है।इस तरह कैम्पा के 75 लाख रुपये कोटमसर के मुनगाबहार नाले में डूब चुके है।35 मीटर के स्टॉप डेम में 8700 बोरी सीमेंट खपाने वाले नेशनल पार्क के अधिकारियों ने एक ढह चुके स्टॉप डैम पर 5196132 रुपये की निर्माण सामग्री और 2074036 रुपये का मज़दूरी भुगतान दर्शाकर भ्रष्टाचार की एक और नई कहानी को अंजाम तक पहुंचा दिया है।

रॉयल्टी भी कागजों में करते रहे जमा

बीजापुर से गौण खनिज के बिल खरीदे जाते रहे और उनकी रॉयल्टी के वाउचर बनाये जाते रहे लेकिन खनिज विभाग को इस पूरे काम की रॉयल्टी का एक रुपया भी भुगतान नहीं किया गया।इस संबंध में जब कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के सहायक वन संरक्षक कमल तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रॉयल्टी तो शासन का पैसा है वह किसी भी विभाग में रहे इससे कोई फर्क नही पड़ता।उन्होंने कहा कि रॉयल्टी के वाउचर बनाये गए लेकिन खनिज विभाग के खाते में राशि जमा नहीं की गई है।इसी तरह बीते दो सालों से इस स्टॉपडेम के लिए लाखों की निर्माण सामग्री खरीदने वाले पार्क परिक्षेत्र अधिकारी विंसेंट जेकब से जब पूरे मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।