मोदी की गारंटी की बजाए इन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी भाजपा, जानें क्यों उपचुनाव में बदली रणनीति?
राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर अभी उपचुनावों का एलान नहीं हुआ है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। दो दिन पहले जयपुर में हुई भाजपा…
राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर अभी उपचुनावों का एलान नहीं हुआ है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। दो दिन पहले जयपुर में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर उप चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की जीत में जुटने का आह्वान किया। भाजपा जहां इस बार रणनीति बदलने जा रही है, तो वहीं कांग्रेस अपने पुराने फॉर्मूले के तहत चुनाव में उतरेगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव में पार्टी केंद्र सरकार की योजनाओं और पीएम नरेंद्र मोदी की बातें कम करेगी। प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार ने कितना काम किया है और किन मुद्दों राज्य में काम चल रहा है। इन बातों को घर-घर पहुंचाया जाएगा। प्रदेश सरकार के बजट में जो महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं, उसे लेकर पार्टी जनता के बीच जाएगी। हाल ही में हुई कार्यसमिति की बैठक में आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर एक विस्तृत रणनीति बनाई गई है। लोकसभा चुनाव में लगे झटके के बाद पार्टी किसी भी स्थिति में रिस्क लेने की मूड में नजर नहीं आ रही है। ऐसे में पार्टी ने अभी से उपचुनाव वाली सीटों पर काम करना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की 25 में से 14 सीटों पर भाजपा और 11 सीटों पर कांग्रेस और सहयोगी दलों के प्रत्याशी विजयी रहे हैं। इनमें 8 सीटों पर कांग्रेस और 3 पर सहयोगी दलों के उम्मीदवारों ने बाजी मारी है। नागौर से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल, बांसवाड़ा से बीएपी के राजकुमार रोत और सीकर से माकपा के कॉमरेड अमराराम ने कांग्रेस समर्थन के बाद जीत दर्ज की। भाजपा सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव वाली विधानसभा सीटों के प्रभारी और सहप्रभारी क्षेत्रों में जाकर स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे। 15 जुलाई को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी नागौर पहुंचे थे। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ पदाधिकारियों की भी बैठक ली थी। नागौर जिले के खींवसर में भी विधानसभा में भी उप चुनाव होना है। वहां किस तरह की रणनीति अपनाई जानी है। इस बारे में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से चर्चा की गई। राजस्थान भाजपा के नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में लगे झटके के बाद पार्टी उप चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रही है। विधानसभा चुनाव प्रभारियों और सह प्रभारियों को जिताऊ प्रत्याशियों का टास्क दिया गया है। अगले कुछ दिनों में ये लोग क्षेत्र में जाकर स्थानीय नेताओं से चर्चा करेंगे। इसके बाद जिताऊ प्रत्याशियों का पैनल तैयार करके प्रदेश नेतृत्व को सौंपा जाएगा। फिर ये पैनल भाजपा हाईकमान को जाएंगा। वहीं से पार्टी के उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगेगी। पार्टी इस बार नए समीकरण और मुद्दों को लेकर टिकट पर मुहर लगाने की तैयारी में है।
कांग्रेस इन मुद्दों पर लड़ेगी चुनाव
कांग्रेस उप चुनाव में भी जातिगत मुद्दों और संविधान को लेकर मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर रही है। दरअसल, राजस्थान की जिन पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वे सभी इंडिया गठबंधन की सीटे हैं। इसलिए कांग्रेस इन सीटों पर अभी गठबंधन दलों के साथ सीट बंटवारे के इंतजार में है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी सभी पांचों सीटों पर उतरने की तैयारी कर रही है। बस वे इस इंतजार में है कि गठबंधन क्या फैसला लेगा। क्योंकि आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल चुनाव परिणाम के बाद कई बार अपने सुर बदल चुके हैं। इसलिए कांग्रेस पार्टी कोई भी फैसला सार्वजनिक करने से बचते हुए दिख रही है। इन पांचों सीटों के उपचुनाव को लेकर राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का कहना है कि ‘इतिहास गवाह है उपचुनावों में हमेशा कांग्रेस ने जीत हासिल की है और हम सभी पांच सीटों पर उपचुनाव जीतेंगे, हम पूरी ताकत से लड़ेंगे और हर सीट पर बेहतर उम्मीदवार उतारेंगे। राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें दौसा, टोंक जिले की देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू और बांसवाड़ा की चौरासी विधानसभा सीट शामिल है। इन पांचों सीटों पर चुने गए विधायक लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद बन गए हैं, इसीलिए नवंबर में यहां उपचुनाव होना संभावित है। हाल ही में मध्यप्रदेश और बिहार समेत 7 राज्यों की 13 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आए थे। इन 13 विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन ने 10, एनडीए ने 2 सीटें जीतीं। सभी सीटों पर 10 जुलाई को वोटिंग हुई थी। कांग्रेस ने 4, टीएमसी ने 4, आप-डीएमके ने 1-1 सीटें जीती है। वहीं, भाजपा के खाते में 2 सीटें गई हैं। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ है।