एसीसी चिल्हाटी साइट पर अदाणी फाउंडेशन ने सस्टेनेबल संबंधी अपने प्रयासों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाया
बिलासपुर • बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के बोहरडीह गांव में 1,200 निवासियों और 70 एकड़ कृषि भूमि के लिए बारहमासी जल आपूर्ति सक्षम करने के लिए 7 उथले तालाबों को गहरा किया…
बिलासपुर
• बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के बोहरडीह गांव में 1,200 निवासियों और 70 एकड़ कृषि भूमि के लिए बारहमासी जल आपूर्ति सक्षम करने के लिए 7 उथले तालाबों को गहरा किया गया और आपस में जोड़ा गया।
• बिलासपुर के 16 गांवों के ग्रामीण समुदायों को समय पर और प्रभावी चिकित्सा देखभाल के लिए मोबाइल स्वास्थ्य इकाई (एमएचयू) शुरू की गई, जिससे 7,400 से अधिक निवासियों को अपने घरों पर ही मिला फायदा।
• ई-सेवाओं का लाभ उठाना आसान बनाने के लिए लोहरसी गांव में कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित किया गया, जिसने लगभग 1,000 परिवारों को 1.1 करोड़ रुपए की सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठाने में सहायता की।
• बोहारडीह गांव के 64 किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाली लिफ्ट सिंचाई प्रणाली प्रदान की गई, जिसके परिणामस्वरूप पहले एक के बजाय साल में 3 फसलों की सिंचाई हो रही है।
• गोडाडीह गांव में 25 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 60 महिलाओं को आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए मशरूम की खेती और गैर-कृषि व्यवसाय उपक्रमों के लिए ट्रेनिंग दी गई।
• लोहरसी गांव में मवेशियों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 1,378 गायों की पहचान की गई, जिनमें से 59 मवेशियों ने एसएसएस कृत्रिम गर्भाधान कराया, जिसके परिणामस्वरूप 7 मादा बछड़ों का जन्म हुआ।
छत्तीसगढ़ – विविध कारोबार वाले अदाणी पोर्टफोलियो की सीमेंट और निर्माण सामग्री कंपनी एसीसी लिमिटेड ने अपने संयंत्रों के नजदीकी इलाकों में रहने वाले ग्रामीण समुदायों के लिए स्थायी आजीविका को सक्षम करने की दिशा में प्रतिबद्धता के साथ कदम उठाए हैं। एसीसी ने अदाणी फाउंडेशन के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में अपनी एसीसी चिल्हाटी साइट के पास कई गांवों में प्रभावशाली कॉर्पाेरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहलों की एक श्रृंखला शुरू की है। इन कदमों के जरिये आत्मनिर्भरता और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने और ग्रामीण समुदायों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास पूरी जिम्मेदारी के साथ किया जा रहा है।
सीएसआर टीमों ने ‘सप्त सरोवर’ परियोजना के तहत बोहारडीह गांव में सात छोटे तालाबों को जोड़ा है, जिससे दैनिक जरूरतों के लिए वर्षा जल संचयन में वृद्धि हुई है। इस तरह 1,200 निवासियों और 70 एकड़ कृषि भूमि को लाभ हुआ है। एसीसी और अदाणी फाउंडेशन ने बोहारडीह में 64 किसानों के लिए सौर ऊर्जा चालित लिफ्ट सिंचाई प्रणाली भी शुरू की है। अपने 54 एकड़ खेत के लिए पानी की नियमित सप्लाई मिलने से ये किसान परिवार एक के बजाय साल में तीन फसलों की खेती करने के लिए सक्षम हो गए हैं, जिससे स्वाभाविक तौर पर उनकी पैदावार और आय में वृद्धि हुई है।
लोहरसी गांव में, डिजिटल पहुंच को बढ़ाने के लिए एक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) स्थापित किया गया है, जिससे अब तक लगभग 1,000 परिवारों को कुल मिलाकर 1.1 करोड़ रुपए की सरकारी ई-सेवाओं का लाभ मिला है। इसमें यहां के वाशिंदों को एबीएचए स्वास्थ्य योजना से जोड़ना भी शामिल है, जिससे करीब 50 लाख रुपए का लाभ हुआ है। इस सफलता को देखते हुए यहां अब दो और सीएससी खुलने वाले हैं।
घर-घर स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देते हुए, एसीसी और अदाणी फाउंडेशन ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 16 गांवों को कवर करने के लिए एक मोबाइल स्वास्थ्य इकाई (एमएचयू) प्रदान की है। इस पहल से अब तक 7,400 से अधिक निवासियों को लाभ हुआ है, पांच गांवों में अतिरिक्त नेत्र जांच शिविर आयोजित किए गए हैं, जिसमें 972 रोगियों को मुफ्त नेत्र देखभाल प्रदान की गई है और 168 स्कूली बच्चों की आंखों के फ्लू की जांच की गई है।
सीएसआर टीमों ने गोडाडीह गांव में 25 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 60 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। ये ऐसी महिलाएं हैं, जो मशरूम की खेती और झाड़ू बनाने, मोमबत्ती बनाने, अगरबत्ती बनाने और चूड़ी बनाने जैसे गैर-कृषि व्यवसाय उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इन पहलों का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता और वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के बीच लीडरशिप का कौशल विकसित करने के लिहाज से नियमित तौर पर बैठकों का आयोजन भी किया जाता है।
लोहरसी गांव में आर्थिक विकास में तेजी लाने और यहां मवेशियों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सीएसआर टीमों ने एकीकृत पशुधन विकास परियोजना (आईएलडीपी) शुरू की है। इस परियोजना के तहत 1,378 गायों की पहचान की गई है, जिनमें से 59 को सेक्स सॉर्टेड सीमेन (एसएसएस) कृत्रिम गर्भाधान से गुज़ारा गया, जिसके परिणामस्वरूप सात मादा बछड़ों का जन्म हुआ। यह पहल मौसमी और बारहमासी चारे की खेती के लिहाज से भी फायदेमंद है, जिससे मक्का, जई और संकर नेपियर घास के साथ 51 किसानों को लाभ मिलता है। ।
एसीसी लिमिटेड और अदाणी फाउंडेशन की ये व्यापक पहल छत्तीसगढ़ में सतत विकास, सामुदायिक सशक्तिकरण और ग्रामीण परिवर्तन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है। ठोस प्रयासों और अभिनव समाधानों के माध्यम से, वे अपने द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले ग्रामीण समुदायों के लिए एक उज्जवल, आत्मनिर्भर भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।