भगवामय हुईं बांग्लादेश की सड़कें, हिंदुओं ने खोला नई सरकार के खिलाफ मोर्चा; दे दिया अल्टीमेटम…
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को अल्पसंख्यक समुदायों खासकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए उन्हें घृणित बताया। उन्होंने पूछा कि…
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को अल्पसंख्यक समुदायों खासकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए उन्हें घृणित बताया।
उन्होंने पूछा कि क्या वे इस देश के लोग नहीं हैं? आप देश को बचाने में सक्षम हैं, क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते हैं? हीं, जबकि हिंदू समुदाय ने सुरक्षा और न्याय की मांग करते हुए अपना अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बांग्लादेश की सड़कों पर किया।
प्रोफेसर यूनुस ने बेगम रोकेया विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “आपको कहना चाहिए कि कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।
वे मेरे भाई हैं। हमने साथ मिलकर लड़ाई लड़ी है और हम साथ रहेंगे।” उन्होंने छात्रों से सभी हिंदू, ईसाई और बौद्ध परिवारों को नुकसान से बचाने का आग्रह किया।
आपको बता दें कि ढाका, चटगांव, बारीसाल, तंगेल और कुरीग्राम जैसे प्रमुख शहरों में हजारों प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया और कहा कि हिंदुओं को बांग्लादेश में रहने का अधिकार है।
शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमलों के विरोध में उन्होंने शनिवार को लगातार दूसरे दिन ढाका में शाहबाग चौराहे को अवरुद्ध कर दिया।
एक रिपोर्ट में कहा है इस प्रदर्शन के दौरान “अगस्त 2024: बांग्लादेशी हिंदुओं को बचाओ। हमें न्याय और सुरक्षा चाहिए।”, “हिंदुओं को बचाओ”, “मेरे मंदिरों और घरों को क्यों लूटा जा रहा है? हमें जवाब चाहिए”, “स्वतंत्र बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी नहीं रहेगा”, “धर्म व्यक्तियों के लिए है, राज्य सभी के लिए है”, “हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें” जैसे नारे लगाए गए।
शाहबाग में प्रदर्शन कर रहे हिंदू अल्पसंख्यकों ने हिंदुओं और उनके घरों, मंदिरों और व्यवसायों पर हुए हमलों के खिलाफ मुआवजे की मांग की है।
बांग्लादेश में दो हिंदू संगठनों बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के अनुसार, 5 अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को 52 जिलों में हमलों की कम से कम 205 घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
हजारों बांग्लादेशी हिंदू हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी देश भारत भागने की कोशिश कर रहे हैं।
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