बाढ़ आपदा से निपटने के लिए 100 जवानों के साथ बनाई 300 आपदा मित्रों की टीम

दमोह ।   दमोह जिले में बारिश के मौसम के दौरान बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए होमगार्ड विभाग के जवानों के साथ-साथ 300 आपदा मित्रों की टीम भी तैनात रहती…

दमोह ।   दमोह जिले में बारिश के मौसम के दौरान बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए होमगार्ड विभाग के जवानों के साथ-साथ 300 आपदा मित्रों की टीम भी तैनात रहती है। इन आपदा मित्रों को तब बुलाया जाता है जब लोगों की जान पर गंभीर संकट हो। आपदा मित्रों में युवक और युवतियां दोनों शामिल हैं, जिन्हें मास्टर ट्रेनर द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। बारिश के मौसम में जिले के नदी और नालों के किनारे बसे क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है। हटा, बटियागढ़, तेंदूखेड़ा, पटेरा, और पथरिया जैसे क्षेत्रों के 30 से अधिक गांव और कस्बे हर साल बाढ़ के जोखिम का सामना करते हैं। इस बार बाढ़ आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है और जिले में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जा चुका है। जिले में होमगार्ड की टीम के अलावा इस बार 300 आपदा मित्रों की टीम तैयार की गई है, जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाएगी। होमगार्ड द्वारा जिले के प्रत्येक ब्लॉक और थाना स्तर पर भी टीम बनाई गई है। वर्तमान में आपदा मित्र स्वयंसेवकों की दो अलग-अलग टीमों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें बाढ़ आपदा के दौरान लोगों की मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। एसडीआरएफ प्लाटून कमांडर प्राची दुबे ने बताया कि आपदा मित्रों को तैराकी की तकनीक, विभिन्न प्रकार की तैराकी, डूबते हुए व्यक्ति को बचाने की विधियां, और प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया गया है।

इन नंबरों से मिलेगी तत्काल मदद

बाढ़ सहित अन्य आपदाओं से निपटने के लिए होमगार्ड द्वारा फोन नंबर भी जारी किए गए हैं। होमगार्ड के जिला सेनानी हर्ष कुमार जैन ने बताया कि जिला प्रशासन ने जिले में बाढ़ कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जिसका नंबर 07812-350300 है। इस नंबर पर आपातकाल से संबंधित सूचना प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा, स्टेट कमांड सेंटर भोपाल के टोल-फ्री नंबर 1079 पर भी कॉल करके सूचना दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि उनके पास 6 मोटर बोट्स के अलावा अन्य जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं। इनमें से एक बोट हटा में तैनात की गई है, क्योंकि वहां सुनार नदी के उफान पर आने पर कई इलाके डूब में आ जाते हैं।