अगर जीत जाती तो…विनेश फोगाट ने पोस्ट में बयां किया दर्द; संन्यास वापसी का भी संकेत?…

पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बावजूद 100 ग्राम ओवरवेट होने के चलते मेडल से दूर हुई विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी है। अपनी इस पोस्ट में…

पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बावजूद 100 ग्राम ओवरवेट होने के चलते मेडल से दूर हुई विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी है।

अपनी इस पोस्ट में विनेश ने अपना दर्द बयां किया है। इसमें एक तरफ उन्होंने पोडियम पर न पहुंच पाने को लेकर अपनी निराशा जाहिर की है।

वहीं, तिरंगे से लेकर अपना प्यार भी जाहिर किया है। इसके अलावा उन्होंने संन्यास से वापसी का भी संकेत दिया है। विनेश ने पिछले साल पूर्व डब्लूएफआई चीफ बृज भूषण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को भी याद किया है।

इस दौरान जंतर-मंतर के करीब तिरंगे के पास अपनी जमीन पर पड़ी फोटो का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि पहलवानों के प्रोटेस्ट के दौरान मैं भारत में महिलाओं की सुरक्षा और तिरंगे की वैल्यू के लिए लड़ रही थी। आज जब मैं 28 मई 2023 की उस तस्वीर को देखती हूं तो यह मुझे हॉन्ट करती है।

पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट 50 किग्रा के फाइनल में पहुंच गई थीं। इसके बावजूद वह डिसक्वॉलीफाई कर गईं, क्योंकि उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा पाया गया था। इतने करीबी अंतर से चूकने को लेकर फोगाट ने लिखा कि मैं ओलंपिक में तिरंगे को सबसे ऊंचा लहराना चाहती थी।

मैं चाहती थी कि मेरे साथ तिरंगे की एक ऐसी तस्वीर हो, जो इसके उस महत्व और पवित्रता को दर्शाए जिसे हमारा तिरंगा डिजर्व करता है।

उन्होंने लिखा है कि ऐसा करके मैं झंडे और कुश्ती की गरिमा को लौटा पाती। डिसक्वॉलीफाई होने के बाद संन्यास की घोषणा करने वाली फोगाट ने तीन पेज लंबी पोस्ट के अंत में संन्यास से वापसी का भी संकेत दिया है।

उन्होंने लिखा है कि खेल ने उनकी जिंदगी तय की है और अभी यहां पर कुछ काम बाकी है। विनेश फोगाट ने लिखा है कि हमने जो लक्ष्य बनाया था, हम जो हासिल करना चाहते थे, अभी तक अधूरा है। यह कुछ ऐसा है जो हमेशा अधूरेपन का एहसास कराता रहेगा। यह फिर से पहले जैसा नहीं हो सकता है।

विनेश लिखा है कि हो सकता है कुछ अलग हालात में मैं 2032 तक खेल सकती हूं। वजह, लड़ने की क्षमता और कुश्ती हमेशा मेरे अंदर रहेगी।

उन्होंने आगे लिखा है कि मैं यह भविष्यवाणी नहीं कर सकती कि मेरा भविष्य कैसा होगा और मेरी यात्रा में क्या कुछ अभी बाकी है।

लेकिन इतना तय है कि जो भी चीज मुझे सही लगेगी, उसके लिए लड़ना जारी रखूंगी। इस पोस्ट में विनेश ने अपने गांव का भी जिक्र किया है।

जब विनेश नौ साल की थीं तो उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। तब से विनेश की मां ने हर कदम पर उनका साथ दिया है। इसके अलावा उन्होंने अपने पति सोमवीर का भी जिक्र किया है।

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