भाजपाइयों के बाबा महाकाल…प्रदेश अध्यक्ष, संगठन प्रभारी, विधायक ने उड़ाई मंदिर के नियमों की धज्जियां
उज्जैन । वैसे तो कालों के काल बाबा महाकाल सभी के हैं, लेकिन पिछले 44 दोनों की बात की जाए तो लगता है जैसे बाबा महाकाल अब सिर्फ भाजपाइयों के हो चुके…
उज्जैन । वैसे तो कालों के काल बाबा महाकाल सभी के हैं, लेकिन पिछले 44 दोनों की बात की जाए तो लगता है जैसे बाबा महाकाल अब सिर्फ भाजपाइयों के हो चुके हैं। मंदिर में हजारों किलोमीटर दूर से दर्शन करने आने वाले भक्तों को तो बेरिकेट से ही बाबा महाकाल के दर्शन करना पड़ते हैं, लेकिन श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के नियम उसे समय शिथिल हो जाते हैं, जब कोई भाजपा नेता भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचता है। समय-समय पर मंदिर में श्रद्धालुओं को हो रही अवस्था पर सवाल उठाता है, लेकिन आज बात मंदिर के नियमों की है, जिनकी पिछले 44 दिनों में चार बार धज्जियां उड़ाई गई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, संगठन प्रभारी और विधायक कैसे मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे इसका जवाब देने वाला मंदिर में कोई नहीं है। कहने वाली बात तो यह भी है कि इन सत्ताधारियों ने खुद तो गर्भगृह में पहुंचकर भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक तो किया ही, लेकिन इसके साथ ही यह अपने चहेतो को भी गर्भगृह में ले गए, जिन्हें गर्भ गर्भगृह में ले जाने का इन्हें कोई अधिकार नहीं था।
8 जुलाई से 19 अगस्त तक कई बार उड़ी नियमों की धज्जियां
सबसे पहले बात की जाए तो 8 जुलाई 2024 को भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल का पूजन अर्चन करने के लिए अपनी पत्नी के साथ गर्भगृह में पहुंचे थे। इन्होंने भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक किया था जिस पर जमकर बखेड़ा खड़ा हुआ था, लेकिन बाद में इस पूरे मामले में जिम्मेदार ने यह नहीं बता पाए कि आखिर भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी मंदिर के गर्भगृह में कैसे पहुंचे।
10 अगस्त 2024 को उज्जैन उत्तर के विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा अपने जन्मदिन पर बाबा महाकाल के गर्भगृह में भगवान महाकाल का पूजन अर्चन अभिषेक करते दिखाई दिए थे। जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ था। विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने बाबा महाकाल के दर्शन तो किए थे, लेकिन इस दौरान वे अपने साथ भाजपा के सराफा मंडल अध्यक्ष अजय तिवारी को भी गर्भगृह में ले गए थे। इस मामले ने भी जमकर तूल पकड़ा था, लेकिन श्री महाकालेश्वर मंदिर के जिम्मेदार इस मामले पर भी चुप्पी साधे रहे, जबकि इस मामले में भी मंदिर के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई थी।19 अगस्त 2024 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पत्नी के साथ बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे थे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी को प्रोटोकॉल के तहत दर्शन करवाना फिर भी मंदिर के नियमों के तहत आता है, लेकिन इस दौरान यह देखने को आया था कि मुख्यमंत्री अपने साथ लगभग आधा दर्जन अन्य लोगों को भी गर्भगृह में ले गए थे जो कि नियमों के विरुद्ध है। 19 अगस्त 2024 श्रावण के अंतिम सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा उज्जैन पहुंचे थे, जहां उन्होंने गर्भगृह में पहुंचकर भगवान का पूजन अर्चन किया था। इस दौरान उनके साथ भाजपा जिला अध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला और दो अन्य लोग भी भगवान की पूजा अर्चना करते दिखाई दिए थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का यही वीडियो अब वायरल हो रहा है, जिसको लेकर यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही जिला अध्यक्ष और दो अन्य लोगों को किस प्रोटोकॉल के नियम के तहत मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करवाया गया।
तो नियमों में भेदभाव क्यों….?
वैसे तो यह किसी को बताने की बात नहीं है कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं से दर्शन व्यवस्था के नाम पर कितने नियमों का पालन करवाया जाता है। अगर कोई श्रद्धालु मंदिर के नियमों का थोड़ा भी उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ त्वरित कार्रवाई कर दी जाती है, लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ आम श्रद्धालुओं पर ही होती है वीआईपी श्रद्धालु चाहे जो भी करें उन पर लगता है श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के नियम काम नहीं करते हैं।
कोई नहीं बात पता किसकी परमिशन से हुआ गर्भगृह में प्रवेश
पिछले 44 दिनों में भाजपा के कई पदाधिकारी ने गर्भगृह में पहुंचकर खुद तो दर्शन किए ही साथ ही वह अपने चहेतों को भी गर्भगृह में ले गए, जिसकी जानकारी वीडियो वायरल होने के बाद मीडिया और प्रशासन तक जरूर पहुंची, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद मंदिर के जिम्मेदार यह नहीं बता पाए कि आखिर किसकी परमिशन से गर्भगृह में इन लोगों को प्रवेश दिया गया था। आज भी जब महाकाल मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ से इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हमने ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है। मैं दिखवाता हूं कि किसकी अनुमति से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दर्शन करने गर्भगृह में पहुंचे थे। जबकि एडीएम अनुकूल जैन का कहना है कि प्रशासनिक प्रोटोकॉल से कोई परमिशन नहीं करवाई गई है इस बारे में प्रशासक ही बता पाएंगे।