भारत में स्पेस सेक्टर का जलवा, 13 अरब डॉलर के निवेश से देश को हुआ 60 अरब डॉलर का लाभ, कैसे हुआ यह कमाल…
भारत का स्पेस सेक्टर हाल के वर्षों में एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है, जिसने देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि को पूरी तरह से बदल दिया है। भारत ने…
भारत का स्पेस सेक्टर हाल के वर्षों में एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है, जिसने देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि को पूरी तरह से बदल दिया है।
भारत ने अपने स्पेस मिशनों- मंगलयान और चंद्रयान-3 जैसे प्रमुख अभियानों के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी महत्वपूर्ण स्थिति स्थापित की है।
इन सफल अभियानों ने न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को प्रमाणित किया है, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की साख को भी बढ़ाया है।
इसके अलावा स्पेस सेक्टर में प्रगति ने आर्थिक स्तर पर भी भारत को एक नई पहचान दिलाई है। स्पेस सेक्टर में निवेश से देश को अब बड़ा लाभ देखने को मिल रहा है।
ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म नोवास्पेस की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले दशक में अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 13 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे 60 अरब डॉलर का आर्थिक लाभ हुआ है।
केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने द्वारा जारी इस रिपोर्ट में इस आंकड़े का खुलासा हुआ है। ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव’ नामक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत विश्व के आठवें सबसे बड़े अंतरिक्ष राष्ट्र के रूप में उभरा है और इस क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है।
नोवास्पेस के सहयोगी कार्यकारी सलाहकार स्टीव बाचिंजर ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र ने सीधे, अप्रत्यक्ष और प्रेरित लाभ के माध्यम से 60 अरब डॉलर का योगदान किया है।
इस योगदान ने 4.7 मिलियन नौकरियां उत्पन्न की हैं। इस क्षेत्र में सीधे तौर पर 96 हजार लोग रोजगार में हैं, जिनमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की अनुमानित आय 2014 में 3.8 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 6.3 अरब डॉलर हो गई है।
बाचिंजर ने ‘मल्टीप्लायर इफेक्ट’ की बात करते हुए कहा, “भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पन्न हर डॉलर के लिए 2.54 डॉलर के अप्रत्यक्ष और प्रेरित लाभ होते हैं।”
भविष्य की योजनाओं का उल्लेख करते हुए, केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि भारत 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग की योजना बना रहा है।
उन्होंने विश्वास जताया कि अगले साल पृथ्वी की कक्षा में मानव अंतरिक्ष उड़ान भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन पर वैज्ञानिक गतिविधियों को विस्तार देने की पहली कड़ी शुरू होगी।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रतिदिन आठ लाख मछुआरों की मदद करता है और 1.4 अरब भारतीयों को उपग्रह आधारित मौसम पूर्वानुमान का लाभ प्राप्त होता है।
आगे की योजना के बारे में बताते हुए भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (INSPACe) के अध्यक्ष पवन कुमार गोयंका ने बताया कि स्पेश क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स के लिए एक सीड फंड योजना शुरू की गई है, प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण निजी क्षेत्र को सौंपा गया है और नवोदित अंतरिक्ष उद्यमियों के लिए एक डिजाइन लैब स्थापित की गई है।
गोयंका ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड घोषित किया है, जो नए उद्यमों को महत्वपूर्ण वित्तीय अंतर को पाटने और उनकी वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
सैटकॉम इंडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष सुब्बा राव पवुलुरी और भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट (सेवानिवृत्त) ने सरकार की प्रगतिशील नीतियों और सुधारों की सराहना की, जो भारतीय निजी कंपनियों और अंतरिक्ष उद्योग को प्रोत्साहित कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इन सुधारों से भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण में निरंतर नेतृत्व सुनिश्चित होगा और एक प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।
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