सेक्टर-63 में फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, 500 से अधिक लोग हुए शिकार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (IT) आधारित शेयर ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से मोटी कमाई का झांसा देकर 500 से ज्यादा लोगों से ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। आरोपी दो माह से…
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (IT) आधारित शेयर ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से मोटी कमाई का झांसा देकर 500 से ज्यादा लोगों से ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। आरोपी दो माह से सेक्टर-63 में फर्जी कॉल सेंटर खोलकर वारदात कर रहे थे। कोतवाली सेक्टर-63 पुलिस ने दिल्ली निवासी एकता समेत सेक्टर-72 निवासी अमर सिंह, सर्फाबाद निवासी पुरुषोत्तम, खोड़ा निवासी प्रमोद और मोरना निवासी दीपक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं कॉल सेंटर के दो निदेशक रोबिन चंदेल व रूपाली अग्रवाल समेत वीआर शरण, शिवम अग्रवाल और प्रेरणा मौर्या फरार हैं। पुलिस ने मौके से 33 लैपटॉप, 23 कीपैड मोबाइल, 11 फोन समेत अन्य सामान बरामद किया है।
तेलंगाना निवासी महिला की शिकायत की जांच में मामले का खुलासा हुआ है। नोएडा पुलिस को दी शिकायत में कामिनी वेणू ने कहा थी कि इंस्टाग्राम पर रोबोटेक प्रो आईटी एलएलपी कंपनी का विज्ञापन देखकर सेक्टर-63 स्थित कार्यालय में संपर्क किया था। कंपनी की ओर से शेयर ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए एआई आधारित शेयर ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर देने की बात कही गई। पैकेज लेने पर निवेश के बाद लाखों की कमाई का झांसा दिया गया। आरोपियों ने कामिनी से पांच लाख की ठगी कर ली थी। मामले की जांच के बाद पुलिस ने सेक्टर-63 के BLOCK-H में चल रही रोबोटेक प्रो आईटी एलएलपी कंपनी में छापा मारा। जहां फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था। ADCP हृदयेश कठेरिया ने बताया कि रोबोटेक प्रो आईटी एलएलपी कंपनी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (CB) से मान्यता प्राप्त नहीं है। जबकि इस तरह के शेयर ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर सेबी की मान्यता के बगैर नहीं बेचे जा सकते। आरोपी फर्जीवाड़ा कर लोगों से ठगी कर रहे थे।
सोशल मीडिया पर देते थे विज्ञापन
ACP दीक्षा सिंह के मुताबिक जालसाज फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर विज्ञापन देते थे। विज्ञापन में दावा किया जाता था कि एआई सॉफ्टवेयर शेयर बाजार के फाइनेंशियल डाटा को एनालाइज कर शेयर चुनता है। चुने हुए शेयर से ट्रेडिंग करने पर लाखों के मुनाफे का दावा किया जाता था। आरोपी सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए 14 हजार से 1.20 लाख रुपये लेते थे। इसके साथ ही हर माह 12 हजार रुपये सर्विस चार्ज और 18% GST वसूलते थे। सॉफ्टवेयर खरीदने के बाद ग्राहकों को ID PASSWARD दिया जाता था।