10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जेल अनवर ढेबर
रायपुर छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार कारोबारी अनवर ढेबर को यूपी पुलिस ने मेरठ कोर्ट में पेश किया. जहां कोर्ट ने आरोपी ढेबर को 10 दिन की…
रायपुर
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार कारोबारी अनवर ढेबर को यूपी पुलिस ने मेरठ कोर्ट में पेश किया. जहां कोर्ट ने आरोपी ढेबर को 10 दिन की न्यायिक हिरासत पर जेल भेज दिया है. मामले में अगली सुनवाई 1 जुलाई को की जाएगी. यूपी एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच में जुट गई है. संभवता अगली सुनवाई पर यूपी एसटीएफ पुलिस रिमांड के लिए आवेदन लगा सकती है. बता दें कि आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी को भी यूपी पुलिस ने नकली होलोग्राम मामले में गिरफ्तार कर लिया है.
दरअसल, नकली होलोग्राम बनाए जाने के आरोप पर अनवर ढेबर समेत अन्य आरोपी के खिलाफ यूपी में अपराध दर्ज है. इस मामले पर दो दिन पहले अनवर ढेबर को यूपी एसटीएफ प्रोडक्शन वारंट में लेकर गई थी. वहीं ढेबर को यूपी पुलिस मेरठ लेकर पहुंची और आज कोर्ट में पेश किया. कोर्ट में पेश करने के बाद यूपी एसटीएफ ने पुलिस रिमांड नहीं मांगी. इस दौरान कोर्ट ने 10 दिन की न्यायिक हिरासत पर जेल भेज दिया है. अब अनवर ढेबर को 1 जुलाई को दोबारा कोर्ट में पेश किया किया जाएगा.
जानिए क्या है होलोग्राम केस
जुलाई 2023 में नकली होलोग्राम मामले में ED के डिप्टी डायरेक्टर ने नोएडा के कासना थाने में FIR दर्ज कराई थी. 3 मई को यूपी STF ने प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में गुप्ता ने अनवर और अरुणपति का नाम लिया था.
आरोप और अनियमितताएं
एफआईआर के अनुसार, छत्तीसगढ़ के एक्साइज डिपार्टमेंट ने अवैध रूप से प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्रालि को टेंडर दिया था. कंपनी के मालिकों की मिलीभगत से निविदा शर्तों को संशोधित किया गया और अवैध रूप से निविदा आवंटित की गई. बदले में कमीशन लिया गया और डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ सक्रिय गैंग को की गई.
फर्जी ट्रांजिट पास
टेंडर मिलने के बाद, विधु गुप्ता ने डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी अरुण पति त्रिपाठी के निर्देश पर की. गैंग के सदस्य होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाते थे और फर्जी ट्रांजिट पास के साथ दुकानों में पहुंचाते थे. इस काम में छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे.