छत्तीसगढ़-रायगढ़ में इलेक्ट्रिक स्कूटी की मरम्मत में कोताही, उपभोक्ता फोरम ने विक्रेता पर 12 हजार का लगाया जुर्माना

रायगढ़. इलेक्ट्रिक स्कूटी में खराबी आ जाने के कारण विक्रेता बालाजी इलेक्ट्रिकल के द्वारा वाहन में सुधार न करने तथा खरीदार को बार-बार भटकाते हुए सेवा में कमी के मामले…

छत्तीसगढ़-रायगढ़ में इलेक्ट्रिक स्कूटी की मरम्मत में कोताही, उपभोक्ता फोरम ने विक्रेता पर 12 हजार का लगाया जुर्माना

रायगढ़.

इलेक्ट्रिक स्कूटी में खराबी आ जाने के कारण विक्रेता बालाजी इलेक्ट्रिकल के द्वारा वाहन में सुधार न करने तथा खरीदार को बार-बार भटकाते हुए सेवा में कमी के मामले में उपभोक्ता फोरम ने बालाजी इलेक्ट्रिकल को सेवा में कमी का आंशिक दोषी मानते हुए वाहन की मरम्मत कराने तथा दस हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है।

शिकायत में बताया कि दंपती ने 24 जुलाई को बालाजी इलेक्ट्रिक द्वारा संचालित एम्पेरे शोरूम से जिल एक्स स्कूटी खरीदी थी। 9 मार्च 2024 की रात अचानक रास्ते में फुल चार्ज होने के बावजूद बंद हो जाने एवं निरंतर प्रयत्न करने के बावजूद चालू नही होनें से अन्य लोगों की मदद से महिला वाहन को घर ले गई और 10 मार्च की सुबह उसने उक्त वाहन को अपने पति के हाथों मरम्मत के लिए एजेंसी पहुंचाया तो गाड़ी लेकर शाम तक बैठाया गया। आखिर में तकनीकी हवाला देते हुए वापस भेज दिया गया। इसी तरह तीन माह तक उन्हें कोई न कोई बहाना बताकर रसीद देने से इनकार किये जाने पर 14 मार्च को स्कूटी का वापस मांगकर दूसरी जगह मरम्मत कराने की बात कहने पर जाब कार्ड प्रदान किया गया और उसके लगभग दो माह पश्चात भी स्कूटी वापस नहीं दिये जाने पर पूछताछ करने पर कोई जानकारी प्रेषित न करने पर अधिवक्ता के माध्यम से 20 अप्रैल को पत्र दिये जाने पर इस परिवाद के पेश करने के दिनांक तक किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई, जोकि सेवा में कमी को दर्शाता है। पीड़िता के द्वारा आखिरकार इस मामले पर एक परिवाद पत्र उपभोक्ता फोरम में दायर किया गया।  उपभोक्ता फोरम में प्रतिवाद दायर होनें के बाद फोरम के अध्यक्ष क्षमेश्वर लाल पटेल व सदस्य राजेन्द्र पाण्डेय व राजश्री अग्रवाल ने इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद पीड़िता सुमन सरोजनी निवासी चंद्रनगर कॉलोनी के परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार कर बालाजी इलेक्ट्रिकल को सप्ताह भर के भीतर वाहन की मरम्मत कराकर फोरम को सूचित करने तथा मानसिक क्षति के रूप में दस हजार रुपये एवं वाद-व्यय के रूप में दो हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। अर्थदंड न देने पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से 45 दिन के भीतर ब्याज चुकाने का निर्णय दिया गया है।