आचरण, व्यवहार और शिष्टाचार की सीख दे रहा आरएसएस
भोपाल । भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नागरिकों को आचरण, व्यवहार और शिष्टाचार की सीख देने की दिशा में काम…
भोपाल । भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नागरिकों को आचरण, व्यवहार और शिष्टाचार की सीख देने की दिशा में काम कर रहा है। संघ इसके लिए पंच परिवर्तन अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत बताया जा रहा है कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपना टैक्स समय पर भरे। यातायात नियमों का सदैव पालन करे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ एक संगठन नहीं बल्कि अनुशासन, देशभक्ति एवं भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। राष्ट्रवाद की नींव पर खड़ा यह वटवृक्ष अपने विचारों और मूल्यों से देश के युवाओं को नि:स्वार्थ भाव से देश सेवा के प्रति प्रेरित कर उनके व्यक्तित्व व चरित्र का निर्माण कर रहा है।
गत 9 दशकों से संघ का हर स्वयंसेवक भारत को विश्व गुरु बनाने और उसका गौरव पुन:स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन दिनों अपनी शाखा और प्रबुद्धजनों की बैठक में ऐसे कई नागरिक शिष्टाचार सिखा रहा है। संघ के शताब्दी वर्ष में आरएसएस ने पंच परिवर्तन के जरिए समाज में बदलाव लाने का अभियान आरंभ किया है। संघ यह भी बता रहा है कि हमें अपना हस्ताक्षर हिंदी भाषा में करना चाहिए और हिंदी तिथि के अनुसार ही अपना जन्मदिन मनाना चाहिए। वेशभूषा की दृष्टि से भारतीय परिधान को महत्व देने की भी सीख भी दी जा रही है। संघ के पंच परिवर्तन के अभियान में यह भी सिखाया जा रहा है कि समाज में जाति व्यवस्था तो ठीक लेकिन जाति भेद नहीं होना चाहिए क्योंकि कर्म के आधार पर जाति बनी है न कि जन्म के आधार पर।
पढ़ाया जा रहा नैतिकता का पाठ
संघ की शाखाओं में इन दिनों पंच परिवर्तन अभियान के तहत कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनमें पर्यावरण संरक्षण के पौधारोपण के साथ-साथ प्लास्टिक का उपयोग न करने का संदेश दिया जा रहा है। कुटुंब प्रबोधन के तहत भोजन भ्रमण, भजन, भाषा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। किस तरह हमें सात्विक भोजन करना चाहिए। अपनी मातृभाषा, बोली को नई पीढ़ी से अवगत कराना चाहिए। स्वस्थ मनोरंजन के लिए जीवन में भ्रमण भी आवश्यक है। ऐसी ही समझाइश समरसता की दी जा रही है कि समाज में जाति व्यवस्था तो ठीक है लेकिन जाति भेद नहीं होना चाहिए। जातियां कर्म के आधार पर बनी हैं, जन्म के आधार पर नहीं। स्वदेशी अभियान में भी नई बातें बताई जा रही हैं। स्थानीय, क्षेत्रीय या भारतीय वस्तुओं के इस्तेमाल पर तो जोर देना चाहिए, साथ में हमें बोलचाल की भाषा में भी देशज शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा देसी गाय के उत्पादों को भी स्वदेशी अभियान के तहत महत्व दिया जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण सीख नागरिक दायित्व को लेकर दी जा रही है। लोगों को सिखाया जा रहा है कि यदि वे किसी चौराहे पर खड़े हैं तो उन्हें यातायात नियमों का पालन करना चाहिए। यदि संकेतक लाल हैं तो कभी भी अनदेखी न करें। सार्वजनिक वाहन का अधिकाधिक उपयोग करें। नागरिकों को शासन का सहयोग करने के लिए भी इस अभियान में प्रेरित किया जा रहा है। इसी तरह शासकीय संपत्ति को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाने की भी समझाइश दी जा रही है। दरअसल, इस अभियान के पीछे संघ की सोच है कि समाज के सहयोग से ही समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। इसी वजह से संघ इसे सामाजिक अभियान बनाना चाह रहा है।