विज का दावा, खट्टर का कड़वा जवाब
चंडीगढ़ । हरियाणा की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेता और छह बार विधायक रह चुके अंबाला छावनी के विधायक अनिल विज ने…
चंडीगढ़ । हरियाणा की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेता और छह बार विधायक रह चुके अंबाला छावनी के विधायक अनिल विज ने पहली बार खुलेआम मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा ठोक दिया। विज ने कहा, “मैंने आज तक अपनी पार्टी से कुछ नहीं मांगा, लेकिन इस बार मैं मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहा हूं। अगर मुझे मौका मिलता है, तो मैं हरियाणा की तकदीर और तस्वीर बदल दूंगा।” अनिल विज के इन दावे के बाद से हरियाणा भाजपा में कलह शुरू हो गई है। विज के इस बयान पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सीधा और कड़वा जवाब दिया। खट्टर ने कहा, “चाहत जताने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन चुनाव नायब सैनी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हर कोई अपनी इच्छा जाहिर कर सकता है, लेकिन बीजेपी का फैसला पहले ही हो चुका है।”
अनिल विज ने पार्टी हाई कमान से पहली बार कुछ मांगने की बात कही है, और वो कुछ और नहीं बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री पद की मांग है। विज ने कहा कि पूरे हरियाणा की जनता उनके पास आकर मुख्यमंत्री बनने की मांग कर रही है, और इसी वजह से उन्होंने ये दावा किया है। विज ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बनना या ना बनना हाई कमान का फैसला है, लेकिन अगर उन्हें यह मौका दिया जाता है, तो वे हरियाणा की तस्वीर बदल देंगे।
विज के इस दावे पर हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने तीखी प्रतिक्रिया दी। खट्टर ने कहा, “अपनी इच्छाएं जताने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन चुनाव पार्टी द्वारा तय किए गए फैसले के तहत ही लड़ा जाएगा। बीजेपी पहले ही फैसला कर चुकी है, और इस पर कोई विवाद नहीं है।”
अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर के बीच की खींचतान कोई नई बात नहीं है। दोनों नेताओं के बीच मतभेद पहले भी कई बार सार्वजनिक रूप से सामने आ चुके हैं। मनोहर लाल खट्टर को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, नरेंद्र मोदी और अमित शाह, के करीबी माना जाता है, जिसकी वजह से पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत है। वहीं, अनिल विज को अंबाला छावनी सीट पर बीजेपी का दिग्गज नेता माना जाता है, और वे इस सीट पर लगातार छह बार जीत चुके हैं। इस बार वे सातवीं बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
विज का यह बयान इस बात का संकेत देता है कि बीजेपी के भीतर हालात सामान्य नहीं हैं, और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। अब