दिल्ली की राजनीति में बदलाव, आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया
दिल्ली की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ है। विधायक दल की बैठक में आतिशी के नाम पर मुहर लग गई है। अब दिल्ली की नई सीएम आतिशी होंगी। ऐसे में…
दिल्ली की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ है। विधायक दल की बैठक में आतिशी के नाम पर मुहर लग गई है। अब दिल्ली की नई सीएम आतिशी होंगी। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल है कि आतिशी कब तक दिल्ली की सीएम रहेंगी? इसका जवाब आप नेता गोपाल राय ने दिया है।
गोपाय राय ने क्या बताया?
विधायक दल की बैठक में सीएम पद के लिए आतिशी के नाम पर मुहर लगने के बाद आप नेता गोपाय राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया कि आतिशी को सीएम बनाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है।
दिल्ली के अगले चुनाव तक आतिशी सीएम रहेंगी
गोपाय राय ने कहा कि हम आज ही नई सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। दिल्ली कैबिनेट का फैसला अगले कुछ दिनों में होगा। उन्होंने कहा कि हम चाहतें हैं अक्तूबर-नवंबर में चुनाव हों। इस दौरान उन्होंने BJP और केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। गोपाय राय ने कहा कि AAP को खत्म करने की साजिश रची गई। BJP शुरू से ही AAP सरकार को गिराने की कोशिश में थी। इस दौरान गोपाय राय ने ये भी बताया कि केजरीवाल इस्तीफा कब देंगे। राय ने बताया कि शाम 4.30 बजे केजरीवाल इस्तीफा देंगे।
सीएम पद की रेस में थे 2 नाम
विधायक दल की बैठक से पहले ही 2 नाम सीएम पद की रेस में थे। जिसमें पहला नाम आतिशी और दूसरा नाम कैलाश गहलोत का था। बैठक से पहले ही आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बड़ा बयान देते हुए साफ कर दिया था कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता को सीएम नहीं बनाएंगे। उन्होंने कहा था कि सुनीता केजरीवाल सीएम बनने की इच्छुक नहीं हैं।
आतिशी की शिक्षा और राजनीति में भूमिका
आतिशी की गिनती आम आदमी पार्टी (AAP) के सबसे पढ़े-लिखे नेताओं में होती है। वह राजनीति में आने से पहले टीचर थीं और उन्होंने ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की है। अरविंद केजरीवाल जब जेल में थे, तब आतिशी काफी मुखर होकर सामने आई थीं और मीडिया के सामने भी पार्टी का स्टैंड वह बड़ी मजबूती के साथ रखती थीं। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला सीएम होंगी। उनसे पहले शीला दीक्षित साल 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की सीएम रही थीं। शीला दीक्षित से पहले सुषमा स्वराज साल 1998 में दिल्ली की सीएम बनी थीं। सुषमा स्वराज के रूप में दिल्ली को पहली महिला सीएम मिली थीं। हालांकि वह इस पद पर केवल 52 दिनों के लिए रही थीं। दरअसल प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था। इस दौरान सुषमा स्वराज को सीएम बनाया गया था। इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में BJP हार गई थी और फिर कांग्रेस से शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम बनी थीं।