कोर्ट पहुंचा तिरुपति के लड्डुओं में चर्बी का मामला; आरोपों के बाद आंध्र में सियासी घमासान
अमरावती । तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद को लेकर जारी विवाद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिका पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी की ओर से लगाई गई…
अमरावती । तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद को लेकर जारी विवाद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिका पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी की ओर से लगाई गई है। इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पिछली सरकार पर फर्जी आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। वाईएसआरसीपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने हाईकोर्ट की बेंच के सामने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की ओर से तिरुमाला लड्डू प्रसादम के बारे में लगाए गए आरोपों का जिक्र किया गया। वकील ने अनुरोध किया कि या तो एक मौजूदा न्यायाधीश या हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त एक समिति मुख्यमंत्री द्वारा किए गए दावों की जांच करे। आरोप लगाए गए थे कि प्रसादम में पशु वसा मिलाया गया। बेंच ने सुझाव दिया कि बुधवार 25 सितंबर तक एक जनहित याचिका दायर की जाए। उसी दिन दलीलें सुनी जाएंगी। आरोप लगे हैं कि आंध्र प्रदेश की पिछली वाईएसआरसीपी की सरकार में प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया।
खुद राज्य के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने ये आरोप लगाए हैं। जिसके बाद पूरे देश में यह मुद्दा गरमा गया है और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर काफी कुछ लिखा जा रहा है। इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के इस दावे पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। उनका आरोप है कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। वाईएसआरसीपी ने नायडू पर राजनीतिक लाभ के लिए फर्जी आरोप लगाने का आरोप लगाया है। तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने इस दावे के समर्थन में एक प्रयोगशाला रिपोर्ट सामने रखी है।
तेदेपा ने रेड्डी को घेरा
तेदेपा प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा उपलब्ध कराए गए घी के नमूनों में गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला द्वारा मिलावट की पुष्टि की गई है। उन्होंने कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में पशु की चर्बी, लार्ड (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है। नमूने लेने की तारीख नौ जुलाई, 2024 थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई की थी।
वाईएसआरसीपी ने किया पलटवार
वहीं, वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि नायडू के आरोपों से देवता की पवित्र प्रकृति को नुकसान पहुंचा है और भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। यह कहना भी अकल्पनीय है कि भगवान को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद और भक्तों को दिए जाने वाले लड्डुओं में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। पशु चर्बी के इस्तेमाल का आरोप लगाना एक घिनौना प्रयास है। पार्टी क वरिष्ठ नेता और टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष बी. करुणाकर रेड्डी ने आरोप लगाया कि नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए तिरुपति के लड्डुओं पर अपवित्र आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस-भाजपा ने की जांच की मांग
कांग्रेस ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। पार्टी ने तिरुपति लड्डू की तैयारी को लेकर घृणित राजनीति करने के लिए मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी पर हमला बोला। पवन खेड़ा ने कहा कि मामले की जांच करके दोषियों की पहचान की जानी चाहिए और सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए, लेकिन यदि दावे गलत या किसी और मकसद से प्रेरित हैं, तो तिरुपति के लाखों भक्त उन्हें माफ नहीं करेंगे जिन्होंने उनकी आस्था से खिलवाड़ किया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते से एक पोस्ट में कहा कि लड्डू मुद्दे पर मुख्यमंत्री नायडू की टिप्पणी से सभी हिंदुओं को पीड़ा हुई है। पार्टी ने राज्य सरकार से अपील की कि पिछली सरकार में हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले सभी मुद्दों की तुरंत जांच की जाए।