पितृ पक्ष में गया जी नहीं जा सके? गौशाला में इस तरह कर सकते हैं पितरों का तर्पण
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक 15 दिनों तक मनाया जाता है. इस समय को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए…
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक 15 दिनों तक मनाया जाता है. इस समय को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने का उत्तम समय माना जाता है. हालांकि, अगर किसी कारणवश आप बिहार के गया जी स्थित फल्गु नदी में तर्पण करने नहीं जा पाए हैं, तो आप अपने पितरों का तर्पण गौशाला में गौग्रास खिलाकर भी कर सकते हैं. यह विधि पितरों को तृप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है.
गाय को गौग्रास खिलाने से मिलता है तर्पण का पूरा फल
श्री कोडरमा गौशाला समिति के अरुण मोदी के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों का श्राद्ध-कर्म या पिंडदान करने में असमर्थ है, तो वह पूरी श्रद्धा से गाय को गौग्रास खिलाकर भी श्राद्ध का पूरा फल प्राप्त कर सकता है. गाय को हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय माना गया है, और इसे 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास स्थल कहा जाता है. पितृ पक्ष के दौरान गाय को हरा चारा खिलाने से पितर तृप्त होते हैं, और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही, यह विधि घर में सुख-समृद्धि और शांति लाने में भी सहायक मानी जाती है.
गौशाला में गौग्रास सेवा की सुविधा
पितृ पक्ष के दौरान श्री कोडरमा गौशाला समिति द्वारा जिले में गौग्रास सेवा की विशेष सुविधा प्रदान की जा रही है. इस सेवा के अंतर्गत 1100 रुपये में 11 गायों को, 5100 रुपये में 51 गायों को, और 11,000 रुपये में गौशाला की सभी गायों को भोजन करवा सकते हैं. यह सेवा तर्पण का एक सरल और पुण्यपूर्ण विकल्प प्रदान करती है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है.
गौग्रास सेवा के लिए संपर्क
यदि आप अपने पितरों की तर्पण सेवा के लिए गौशाला में गौग्रास भोजन करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए श्री कोडरमा गौशाला समिति ने बुकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई है. सेवा के लिए आप परियोजना निदेशक शुभम चौधरी (संपर्क: 7004625950) और सहायक परियोजना निदेशक संजय अग्रवाल (संपर्क: 9931590000) से संपर्क कर सकते हैं. यहां से आप गौग्रास सेवा की बुकिंग कर सकते हैं और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
गौ सेवा का महत्व
गाय को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है, और इसे धर्म-कर्म से जुड़े अनुष्ठानों में खास स्थान प्राप्त है. पितृ पक्ष के दौरान गाय की सेवा करना न केवल पितरों की तृप्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे व्यक्ति को भी आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं. यह सेवा करने से सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.