कांग्रेस के हाथ नहीं आए ‘आदिवासी’
भोपाल। मप्र में विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा से पहले भाजपा ने एक बड़ा दांव चलते हुए पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण के…
भोपाल। मप्र में विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा से पहले भाजपा ने एक बड़ा दांव चलते हुए पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बनाकर मंत्री रामनिवास रावत के लिए जीत की राह आसान कर दिया है। गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस यहां से भाजपा के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को उपचुनाव में उतारना चाह रही थी। इसके लिए कांग्रेस के नेता लगातार आदिवासी से संपर्क बनाए हुए थे। आदिवासी कांग्रेस के हाथ आते इससे पहले ही उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर पार्टी ने कांग्रेस की मंशा पर पानी फेर दिया है।
बता दें कि भाजपा से वन मंत्री रामनिवास रावत का नाम लगभग तय होने से सीताराम अलग-थलग हो गए थे। जिसके बाद कांग्रेस लगातार की निगाह उन पर थी। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि सीताराम आदिवासी को उपचुनाव में कांग्रेस से उम्मीदवार बनाए की प्लानिंग की जा रही थी। लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया था। तभी से पूर्व विधायक सीताराम उनका विरोध कर रहे थे। आत जुलाई को रावत को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाकर पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें ही विजयपुर से उपचुनाव में उतारा जाएगा, लेकिन रावत को लेकर भाजपा के कुछ नेताओं में असंतोष था। अब उसी को काम करने दांव चला गया है।
श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से कांग्रेस से छह बार के विधायक रहे रामनिवास रावत के भाजपा में आने के बाद से आंतरिक कलह मच गई थी। पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी रावत का विरोध कर रहे थे। उपचुनाव में सियासी गणित बिगड़ता देख सीएम हाउस में सीएम से सीताराम की लंबी मुलाकात हुई। उन्हें सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। राज्य मंत्री का दर्जा भी दिया है। सीताराम ने मुख्यमंत्री निवास से निकलते ही मीडिया से बातचीत में कहा कि कोई नाराजगी नहीं है। बहुत खुश हूं। टिकट की रेस से बाहर हूं। पार्टी ने बहुत कई बार टिकट से साथ ही मान-सम्मान भी दिया है। उन्होंने मंत्री रावत के बारे में कहा कि वे जरूर उपचुनाव जीतेंगे। इसके बाद सीताराम की मुलाकात विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से भी हुई। गौरतलब है कि 15 जुलाई को सीताराम आदिवासी ने कहा था कि उपचुनाव में भाजपा से टिकट मांगूगा। टिकट नहीं मिला तो समाज के साथ बैठकर निर्णय करेंगे। कांग्रेस से लाकर सौदेबाजी में रामनिवास रावत को मंत्री बना दिया। हमारा क्या वजूद रहा। इस विधानसभा में रावतों के 15 हजार वोट हैं, जबकि हमारे आदिवासी समाज के 50 हजार वोट हैं। 22 अगस्त को कराहल में तेंदूपत्ता बोनस वितरण कार्यक्रम में सीएम, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री रावत भी उपस्थिति में कहा था कि आप (रामनिवास) चुनाव में जीतने की चिंता मत करो, लेकिन समाज को लोगों को समझाकर रखना कि वे लड़ाई-झगड़ा न करें। आजकल आदिवासी भी जागरूक हैं। किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा अपने रास्ते आसान करती दिख रही है। हालांकि, यहां उपचुनाव की तारीख का भले ही ऐलान न हुआ हो। लेकिन भाजपा यहां से कांग्रेस छोडक़र आए रामनिवास रावत को चुनाव लड़वाने वाली है। उनके सामने सीताराम आदिवासी एक बड़ी चुनौती थे। लेकिन भाजपा सरकार ने सीताराम आदिवासी को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है, जिससे रामनिवास रावत ने अब राहत की सांस ली है। सरकार ने सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त करते हुए राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। इसके बाद सीताराम ने ऐलान कर दिया कि वह विजयपुर विधानसभा से उपचुनाव नहीं लड़ेंगे। दरअसल, रामनिवास रावत जब कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए थे तो विजयपुर से पूर्व भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी ने इसका विरोध किया था और बगावती तेवर दिखाते हुए रामनिवास रावत के सामने उपचुनाव लडऩे की बात भी की थी। सीताराम आदिवासी न केवल पूर्व विधायक रह चुके हैं, बल्कि इलाके के आदिवासी वोटबैंक पर उनकी अच्छी पकड़ है, इसलिए भाजपा में रामनिवास रावत के जाने के बाद कांग्रेस की कोशिश थी कि वो उनके सामने विजयपुर से सीताराम आदिवासी को टिकट दे, लेकिन सीताराम के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त होते ही कांग्रेस की मुश्किलें यहां होने वाले उपचुनाव में बढ़ गई हैं, तो वहीं बीजेपी और रामनिवास रावत के लिए उपचुनाव की राह आसान होती दिख रही है।