मंगलनाथ मंदिर परिसर में सुबह गिरा था पेड़ 7 घंटे बाद भी पेड़ हटाने नहीं पहुंचे जिम्मेदार
उज्जैन । नगर निगम के पास हर कार्य को मुस्तेदी से करने के लिए काफी बड़ा अमला है, लेकिन जब भी कोई घटना दुर्घटना घटित होती है तो नगर निगम के अमले…
उज्जैन । नगर निगम के पास हर कार्य को मुस्तेदी से करने के लिए काफी बड़ा अमला है, लेकिन जब भी कोई घटना दुर्घटना घटित होती है तो नगर निगम के अमले की मुस्तैदी की पोल भी खुल जाती है। ऐसा ही कुछ आज मंगलनाथ मंदिर में देखने को मिला है जहां पर सुबह लगभग 8 बजे मंगलनाथ परिसर के अंदर नीम का पेड़ गिर गया था। जिसे हटाने के लिए मंगलनाथ मंदिर के प्रशासक के द्वारा सुबह से ही नगर निगम, उद्यान विभाग और संबंधित अधिकारियों को सूचना दे दी गई थी लेकिन इस सूचना को दिए 7 घंटे बीतने के बावजूद भी नगर निगम का कोई अमला मंगलनाथ नहीं पहुंचा था। बताया जाता है कि गुरुवार सुबह मंगलनाथ मंदिर परिसर के पीछे अति प्राचीन नीम का पेड़ अचानक गिर गया था। यह घटना सुबह लगभग 8 बजे हुई थी। इसे बाबा महाकाल और बाबा मंगलनाथ का आशीर्वाद ही कहा जाएगा कि इस घटना के दौरान इस क्षेत्र में कोई नहीं था। वरना कोई बड़ी घटना दुर्घटना भी घटित हो सकती थी क्योंकि यह वही क्षेत्र है जहां पर बाहर से आने वाले पंडित भगवान का पूजन अर्चन और हवन करवाते थे। गुरुवार सुबह हुई घटना की जानकारी लगते ही मंगलनाथ मंदिर के प्रशासक के के पाठक ने तुरंत नगर निगम की टीम को इस बारे में सूचना दी थी और उद्यान विभाग स्वास्थ्य विभाग के साथी संबंधित अधिकारियों को भी इस बारे में बताया था। सुबह 8 बजे हुई घटना के बावजूद इस गिरे हुए वृक्ष को हटाने के लिए नगर निगम की टीम अब तक मौके पर नहीं पहुंची थी।
शिप्रा के घाट पर है यह वृक्ष
वैसे तो मंगलनाथ मंदिर शिप्रा नदी के घाट पर ही स्थित है, लेकिन बताया जाता है कि यह वृक्ष घाट के किनारे होने के साथ ही पुराने शासकीय कार्यालय के पास बना हुआ था जहां पर श्रद्धालु भी पूजन अर्चन के बाद कुछ देर तक विश्राम करते थे।