फारूक अब्दुल्ला ने गठबंधन की अटकलों को किया खारिज
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणाम 8 अक्टूबर को आना है। इससे पहले तमाम अटकलें भी शुरु हो गईं हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने…
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणाम 8 अक्टूबर को आना है। इससे पहले तमाम अटकलें भी शुरु हो गईं हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ चुनाव के बाद गठबंधन की किसी भी संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा, भाजपा ने मुसलमानों को मुश्किलें दीं। उनकी दुकानें, घर, मस्जिद और स्कूल बुलडोजर से गिरा दिए। क्या आपको लगता है कि हम उनके साथ जाएंगे? उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमारे लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे। अगर भाजपा को लगता है कि वह सरकार बना लेगी तो वह कोयल की दुनिया में रहती है।अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली कोई भी पार्टी जम्मू-कश्मीर में गायब हो जाएगी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा, “हमें यहां जो वोट मिला है, वह भाजपा के खिलाफ वोट है।” आपको बता दें कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था।
वहीं फारूक के बेटे उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता की भावनाओं को दोहराते हुए कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन करने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेगी। उन्होंने कहा, किसी भी तरह की व्यवस्था कश्मीर में किसी भी पार्टी को बर्बाद कर देगी।पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की छोटी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर में नियम बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन कदमों से सीएम की भूमिका को मेयर तक लाने और सरकार को शक्तिहीन बनाने की कोशिश की जा रही है है। इल्तिजा ने एक्स पर लिखा, एलजी द्वारा पांच विधायकों को मनोनीत करने और मुख्य सचिव द्वारा कामकाज के नियमों में बदलाव करने से यह स्पष्ट है कि आने वाली सरकार एक दंतहीन बाघ होगी। भारत सरकार जम्मू-कश्मीर से अधिकार और स्वायत्तता के किसी भी पहलू को और कितना छीनेगी? रबर स्टैंप सीएम। बता दें कि कुछ एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में किसी भी दल को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। इसके बाद गठबंधन को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और लद्दाख सहित क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह पहला चुनाव था। जम्मू-कश्मीर में अब 95 विधानसभा सीटें है। 90 पर चुनाव होंगे और पांच उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाएंगे।