जगदलपुर

बस्तर में एक आदिवासी के जान की कीमत सिर्फ डेढ़ लाख

एक कारपोरेट घराने के आगे प्रशासन नतमस्तक

वार्ड नं 18 की खूनी सडक़ पर कुचले जा रहे आदिवासी

आर्सेलर मित्तल का लौह कचरा, बना आदिवासियों की जान का दुश्मन ग्रामीणों ने किया चक्का जाम

आयरन वेस्ट मटेरियल से भरे ट्रक के नीचे दबकर हुई युवक की मौत

डेढ़ लाख देकर झाड़ लिया पल्ला

लोग कहते है कि अब तक आधा दर्जन के करीब लोंगो की गई जान

जगदलपुर ( हाइवे चैनल )। किरन्दुल के वार्ड नम्बर 18 की सडक़ हादसों की सडक़ बन गई है। यहां लौह अयस्क वेस्ट मटेरियल (टेलिंग्स)लोंगो की जान ले रहा है। ग्रामीणों में इसको लेकर खासा रोष है। ग्रामीणों ने आर्सेलर निपॉन मित्तल स्टील कंपनी और ठेकेदार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वार्ड नं 18 की इस सडक़ पर ग्रामीणों ने करीब दो घंटे तक चक्का जाम किया। ग्रामीणों का कहना है कि डस्ट से लोग परेशान है। इस डस्ट को दबाने के उपाय आर्सेलर निप्पॉन मित्तल स्टील कंपनी पानी डालकर कर रहा है तो कीचड़ हो रहा है।

इससे लोग फिसल कर हादसे का शिकार हो रहे है। हालांकि ठेकेदार ने किसी तरह ग्रामीणों को समझा कर एक बार फिर आयरन ओर डस्ट की ढुलाई बहाल करवा ली। आश्वासन दिया कि 15 दिनों के अंदर दूसरी सडक़ से डस्ट को लेकर जाएगें। लेकिन ग्रामीणों का अपना दर्द है। वे कहते है कि यह सडक़ खूनी हो चुकी है। अब तक आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

आदिवासियों की दर्द भरी दास्तां , डेढ़ लाख में हुआ वड्डे की मौत का सौदा 

पांच दिन पहले भी एक युवक जिसका नाम मंगू तामो था, वह डस्ट से भरे ट्रक की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। ठेकेदार ने इस मामले को निपटाने के लिये मौत की कीमत डेढ़ लाख रुपए लगाई और मामले का पटाक्षेप कर दिया। गांव वाले कहते है अब तक 5 लोंगो की जान इसी कपनी के वेस्ट मटेरियल के चलते गई है। इस लिए इन वाहनों की आवाजाही को रोका जाए। इधर इस मामले को लेकर निर्दलीय पार्षद अब्दुल हमीद सिद्दकी ने जिला प्राशासन को तीन बार पत्र लिखा है, इस सडक़ से वेस्ट मटेरियल की ढुलाई लोंगो के लिए खतरा बन रही है। बावजूद इसके प्रशासन नही जगा। एसडीएम को फोन भी लगाया लेकिन कोई ठोस कदम आज तक नही उठाया गया है। अब्दुल कहते है यदि वाहनों को नही रोका गया तो कंपनी के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।

अस्पताल भी नही पहुंचाया गया , घायल अवस्था में पिलाया पानी

किरंदुल के ही रहने वाले भीमा राम कड़ती बताते है कि ट्रक में दबने के बाद घायल को अस्पताल भी नही ले जाया गया। उसे दो घंटे तक मौके पर ही रहने दिया। मृतक के बेटे के आ जाने का इंतजार किया गया। इतना ही नही इस दौरान उसे पानी भी पिला दिया गया। इस लिए मंगू तामो की मौत हो गई। घटना स्थल से उसे अस्पताल ले जाना भी ठेकेदार ने मुनासिब नही समझा। फिलहाल उसका दाह संस्कार भी कर दिया गया। मंगू आस- पास की पांच छह पंचायतों का खेड़ा वड्डे था।

मीटिंग कर ठेकेदार ने बड़े ही गोपनीय ढंग से निपटा दिया मामला

परिजनों का कहना है कि मंगू तामो के पास कोई पहचान पत्र नही था। घरवालों की बात मानें तो मंगू ने आधार कार्ड भी नही बनवाया था। इस लिए इंश्योरेंस कंपनी से पैसा मिलना मुश्किल था। ठेकेदार से ही जो मुआवजा मिला उसे बैठक के बाद स्वीकार कर लिया गया। इस मीटिंग को भी ठेकेदार ने बड़े ही गोपनीय ढंग से निपटा दिया।

जितेंद्र ताम्रकर, किरन्दुल थाना प्रभारी
जितेंद्र ताम्रकर, किरन्दुल थाना प्रभारी

हादसे में युवक की मौत हुई थी। पुलिस शव घर से लेकर आई थी और पोस्टमार्टम करवाया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का सबब एक्सीडेंटल है। सूचना ट्रक चालक ने ही दी थी। फिलहाल जांच की जा रही है।

जितेंद्र ताम्रकर, किरन्दुल थाना प्रभारी

नियम विरुद्ध ढंग से किया जा रहा टेलिंग्स (अपशिष्ट) का निपटान

यह पूरा मामला आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील के बेनिफिकेशन प्लांट से जुड़ा हुआ है।यह कंपनी एनएमडीसी से रोजाना 20 हजार टन लौह अयस्क चूर्ण खरीदती है।इस चूर्ण के शोधन में रोजाना हजारों गैलन शबरी नदी का पानी बर्बाद किया जाता है।रोजाना के इस 20 हजार टन की प्रोसेसिंग में 20 प्रतिशत से भी अधिक टेलिंग्स का उत्सर्जन बीते करीब पंद्रह वर्षों से इस लाल जहर के रूप में होता आ रहा है जिसे ठिकाने लगाने के गैर कानूनी तरीके से जिले में भूमि,जल ,और वायु का प्रदूषण तो हो ही रहा है साथ ही इन हादसों की शक्ल में गरीब आदिवासियों की लगातार जानें भी जा रही हैं।इस कचरे में 45 प्रतिशत से कम एफई कंटेंट होने की शर्त पर जिला प्रशासन द्वारा इसे यहां वहां फेंकने की अनुमति भी आये दिन इस कंपनी को प्रदान की जा रही है जबकि इसमें एफई कंटेंट 45 प्रतिशत से भी कहीं ज्यादा होता है जो दंतेवाड़ा के जल और जमीन को बर्बाद कर रहा है।

कंपनी नहीं है ज़िम्मेदार-एएमएनएस

आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील इंडिया लिमिटेड की तरफ से बात करते हुए कंपनी के अधिकारी प्रतीक सिंह ने हाईवे चैनल को बताया कि परिवहन ठेकेदारों को काम देने के समय अनुबंध में स्पष्ट रूप से लिखा जाता है कि काम के दौरान होने वाले हादसों की ज़िम्मेदारी ठेकेदार की होगी।उन्होंने स्वीकार किया कि मृतक मंगू तामो के परिजनों को ठेकेदार द्वारा डेढ़ लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिए गए हैं।अपशिष्ट के निपटान में एफ ई कंटेंट के मामले पर कहा कि निपटान के पहले नियमानुसार सेम्पलिंग की जाती है।जिसमे शासन के अधिकारियों की भी सहभागिता होती है।निर्धारित मापदंड के अपशिष्ट का ही निराकरण किया जाता है।

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