वन विभाग के कर्मचारी ही कर रहे थे इमारती लकड़ी की तस्करी।

दो माह से चल रहा था यह अवैध कारोबार
एक ट्रैक्टर के पकड़े जाने से हुआ इस गोरखधंधे का खुलासा
वन कर्मचारी संघ की हड़ताल का भरपूर लाभ उठाते हुए पार कर दी लाखों की लकड़ी
हाइवे चैनल जगदलपुर ( देवशरण तिवारी )। बीते 14 अप्रेल को कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा क्षेत्र में पकड़ी गई लाखों की इमारती लकड़ी के मामले में विभाग की कार्रवाई जारी है।इस मामले में आज इस बात का खुलासा हुआ है कि यह लकड़ी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्र की न होकर बस्तर वनमंडल के कोलेंग (सामान्य) रेंज की है।
वन परिक्षेत्र कोलेंग के काचिररास इलाके में बड़े पैमाने पर साल और बीजा के पेड़ बड़ी बेरहमी से काटे गए हैं।जब हमने इस इलाके का दौरा किया तो स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बीते कई दिनों से यहां स्थानीय लोगों के माध्यम से वन विभाग के अधिकारियों द्वारा ही यह कटाई करवाई जा रही थी।उन्हें वन अधिकारियों द्वारा यह बताया गया था कि 200 से अधिक विशालकाय वृक्षों को काट कर यहां एक तालाब बनाया जाएगा।बड़ी संख्या में यहां के ग्रामीण इस काम मे लगे हुए थे।इसी रिज़र्व फारेस्ट एरिया में पेड़ों को काटने के बाद इनके स्लीपर बनाये जा रहे थे । 2 से अधिक ट्रेक्टरों में दिन के समय इन स्लीपरों को इन वाहनों में लोड किया जाता था और रात में इन्हें जगदलपुर ले जाया जाता था। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कई वनकर्मी यहां पूरी सजगता के साथ मौजूद रहते थे।ग्रामीण भी पूरी तत्परता से इसे सरकारी काम समझ कर बिना किसी डर के काम में जूट रहे।पेड़ों को काट कर और छील कर स्लीपर बनाने के बाद बड़े बड़े वृक्षों के अवशेषों को जला दिया जाता था जिसके प्रमाण आज भी इस जंगल मे मौजूद हैं।
21 मार्च से 14 अप्रेल तक चली वनकर्मियों की हड़ताल का इन लकड़ी तस्करों ने भरपूर लाभ उठाते हुए यहाँ धड़ाधड़ 200 से अधिक पेड़ों की कटाई की और इसे स्लीपर बना कर जगदलपुर तक पहुंचा भी दिया।14 अप्रेल को हड़ताल समाप्त हुई उसी रात नेतानार फारेस्ट बैरियर में एक अवैध चिरान से भरा ट्रेक्टर पकड़ा गया।तब तक बहुत देर हो चुकी थी और 20 ट्रिप से भी ज़्यादा लाखों की इमारती लकड़ी पार हो चुकी थी।
वन विभाग के लोग ही कर रहे थे लकड़ी की तस्करी
जांच के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं वो हैरान करने वाले हैं।जप्त किया गया ट्रेक्टर सीजी 17 के आर 9254 सामाजिक वानिकी वन मंडल जगदलपुर में वनपाल के रूप में पदस्थ ओम प्रकाश सिंह के भाई अमर सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड है। ट्रेक्टर चालक फगनू राम मुचाकी ने अपने बयान में यह दर्ज करवाया है कि उसे श्रीधर स्नेही नामक व्यक्ति ने कोलेंग परिक्षेत्र का वह स्थान दिखाया जहां लकड़ी तैयार की जा रही थी तथा उसे लकड़ी भर कर जगदलपुर लाने का काम भी श्रीधर स्नेही ने ही सौंपा था। श्रीधर स्नेही वर्तमान में बस्तर वनमंडल के कोलेंग परिक्षेत्र में परिक्षेत्र सहायक के पद पर कार्यरत है ।
वनाधिकारियों ने मुचाकी को बना दिया बली का बकरा
इस पूरे मामले में वनविभाग के दर्जन भर अधिकारियों और कर्मचारियों का एक गिरोह शामिल है।कई डिप्टी रेंजर , रेंज अफसर और रिटायर्ड एसडीओ के भी नाम सामने आ रहे हैं।कार्रवाई से बचने के लिए एक आदिवासी युवक फगनू राम मुचाकी को बली का बकरा बनाया जा रहा है।आरोपियों द्वारा नोटरी से सत्यापित एक अनुबंध प्रस्तुत किया गया है कि यह ट्रेक्टर मुचाकी ने आरोपियों से किराये पर लिया था।दिनाँक 6 जनवरी 2022 से यह ट्रेक्टर दस हज़ार रुपये महीने के किराए पर डिप्टी रेंजर के भाई द्वारा इसे दिया गया है।इस अनुबंध में यह भी लिखा है कि मुचाकी ने 30 हज़ार रुपये उन्हें एडवांस के तौर पर दिए हैं।इस अनुबंध के आधार पर वनविभाग के अधिकारियों ने खुद को बचाते हुए एक तरह से सारा दोष ट्रेक्टर चालक पर मढ़ दिया है।जबकि जंगल मे इनके लिए कटाई का काम करने वालों ने उन आधा दर्जन कर्मचारियों के भी नाम लिए हैं जो लगातार दो महीनों से कोलेंग परिक्षेत्र के उस स्थान पर आते रहे हैं और अपने सामने ट्रेक्टर को लोड करवाते रहे हैं जहां कटाई चल रही थी।
बेरहमी से काट दिए गए 200 से अधिक विशालकाय वृक्ष
इतने लंबे समय से कोलेंग परिक्षेत्र के इतने बड़े इलाके में हो रही कटाई की भनक भी बड़े अधिकारियों को नही लग सकी यह बात बेहद हैरान करने वाली है।रिज़र्व फारेस्ट के इतने बड़े इलाके में साल और बीजा के छोटे बड़े 200 से भी अधिक पेड़ कब और कैसे काट दिए गए इसकी जानकारी बड़े अधिकारियों तक पहुंच ही नही सकी।इसी स्थान पर इनके चिरान भी बनाये गए और लाखों की लकड़ी 50 किलोमीटर दूर वहां तक बिना रोक टोक पहुंच भी गई जहां उसे पहुंचाया जाना था।इतना ही नही अगर इस मामले का खुलासा नही होता तो अभी हफ्तों तक यह गोरखधंधा और चल सकता था क्यों कि आज भी इस स्थान पर दर्जनों भीमकाय वृक्ष कटे पड़े हैं जिन्हें चिरान बनाया जाना था।यहां साक्ष्य मिटाने के लिए कई ठूंठों और वृक्षों के अवशेषों को जलाया भी गया है ।इतना ही नही वृक्षों के उपयोगहीन हिस्सों को पास ही बहने वाले कांगेर नाले में फेंक दिया गया है।
फगनू मुचाकी के पिता ने कहा नही है हमारे पास कोई ट्रेक्टर
दरभा ब्लॉक के काटाकांदा गाँव मे फगनू मुचाकी और उसका पूरा परिवार रहता है।फगनू के पिता सुक्को मुचाकी तथा उसके चाचा कोंदा,दसरु और मंगलू ने बताया कि फगनू या हमारे परिवार के पास कोई भी ट्रेक्टर नही है।फगनू वनविभाग के कर्मचारी ओमप्रकाश के लिए वनविभाग के काम किया करता है।फगनू मुचाकी के परिजनों के बयान से मामला और संदेहास्पद होता जा रहा है।
जांच दल घटना स्थल पर भेजा जा रहा है

बस्तर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद ने हाईवे चैनल को बताया कि यह बड़ा संगीन मामला है।डीएफओ के नेतृत्व में इस मामले की जांच की जा रही है।इस अवैध कटाई में वन विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई तो सभी दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ट्रेक्टर किया जा रहा राजसात अन्य पहलुओं पर बारीकी से हो रही जांच

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक धम्मशील गणवीर ने बताया कि अवैध चिरान से लदे ट्रेक्टर को जप्त किया गया है।इसे राजसात करने की कार्रवाई की जा रही है।संदिग्ध लोगों के साथ कुछ अन्य लोगों के भी बयान लिए गए हैं।वन विभाग के कर्मचारियों की इस मामले में संलिप्तता की भी जांच हो रही है।अगर विभाग के कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे तो उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।