गोवा में भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज 

पणजी ।   गोवा विधानसभा के स्पीकर ने भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।…

गोवा में भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज 

पणजी ।   गोवा विधानसभा के स्पीकर ने भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
14 सितंबर, 2022 को आठ विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल का दो-तिहाई हिस्सा होने का दावा करते हुए भाजपा में ‘विलय’ की घोषणा की थी। इसके बाद गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने माइकल लोबो, दिगंबर कामत, एलेक्सो सिकेरा, संकल्प अमोनकर, डेलिलाह लोबो, केदार नाइक, राजेश फल्देसाई और रोडोल्फो फर्नांडीस को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रमेश तवाडकर के समक्ष याचिका दायर की थी।
याचिका में चोडनकर ने कहा था कि इन आठ विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से उस राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ दी थी, जिसकी उम्मीदवारी पर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था।
स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आठ विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल का भाजपा में विलय करने का प्रस्ताव पारित किया था और संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता, विलय के मामले में लागू नहीं होती है।
आठ ‘बागी’ विधायकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने बताया कि दसवीं अनुसूची अन्य राजनीतिक दल में ‘विलय’ की स्वीकृति पर विचार नहीं करती है। वकील ने कहा कि विलय को भाजपा ने स्वीकार कर लिया है, सभी बागी विधायक भाजपा के सदस्य के रूप में विधानसभा में बैठे हैं। 
बता दें कि अगर किसी पार्टी के दो तिहाई से अधिक विधायक दूसरी पार्टी में चले जाते हैं, तब यह संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के अपवाद के अंतर्गत आती है। और बागी विधायकों की सदस्यता नहीं जाती।
याचिका को खारिज करते हुए स्पीकर तवाडकर ने कहा कि याचिका में तथ्य हाल ही में उनके द्वारा सुनी गई एक अन्य अयोग्यता याचिका के समान हैं। 14 अक्टूबर को तवाडकर ने इन आठ विधायकों के खिलाफ डोमिनिक नोरोन्हा द्वारा दायर अयोग्यता याचिका को खारिज किया था। 
स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था, ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि विधायक दल के दो-तिहाई सदस्य राजनीतिक दल से असहमत हैं, तो ऐसी असहमति सुरक्षित है और इसके कारण अयोग्यता नहीं होगी।