99% लोग नहीं जानते शादी में दूल्हा-दुल्हन को क्यों लगाई जाती है हल्दी और मेहंदी!

शादियों का मौसम आने वाला है, और इस दौरान कई प्राचीन रीति-रिवाज निभाए जाते हैं. शादी में निभाई जाने वाली हर रस्म की अपनी विशेष मान्यता और परंपरा होती है.…

99% लोग नहीं जानते शादी में दूल्हा-दुल्हन को क्यों लगाई जाती है हल्दी और मेहंदी!

शादियों का मौसम आने वाला है, और इस दौरान कई प्राचीन रीति-रिवाज निभाए जाते हैं. शादी में निभाई जाने वाली हर रस्म की अपनी विशेष मान्यता और परंपरा होती है. अंतरराष्ट्रीय ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ रविभाई जोशी ने शादी में पिठ्ठी और मेहंदी लगाने की परंपरा के पीछे छिपे महत्व पर प्रकाश डाला. रविभाई जोशी के अनुसार, शादी से एक या दो दिन पहले दुल्हन के हाथों पर उसके भावी पति के नाम की मेंहदी लगाने की रस्म होती है. कुछ स्थानों पर दूल्हे के हाथों पर भी मेंहदी लगाई जाती है, जिसे शुभ और सौंदर्यवर्धक माना जाता है. मेंहदी की यह रस्म दूल्हा-दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगाती है और शादी का वातावरण रंगीन बनाती है.

शास्त्रों में मेंहदी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, मेंहदी लगाने का स्थान खासकर हाथ होते हैं क्योंकि मेंहदी का पेड़ नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर को दूर करने में सहायक माना जाता है. इसके अलावा, मेंहदी से दूल्हा-दुल्हन को मानसिक शांति मिलती है. इस रस्म में यह भी मान्यता है कि मेंहदी का रंग जितना गहरा होता है, दुल्हन को अपने पति से उतना ही अधिक प्रेम मिलता है और उनका वैवाहिक जीवन सफल होता है.

पीठी छोलावा रस्म का अनोखा महत्व
विवाह समारोह में पीठी छोलावा रस्म का भी विशेष महत्व होता है. इसमें दूल्हा-दुल्हन को मांडवा के नीचे बेंच पर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठाया जाता है. परिवार की महिलाएं उन्हें हल्दी या उबटन लगाती हैं और विवाह गीत गाती हैं. इस रस्म के माध्यम से शादी में आए मेहमानों से दूल्हा-दुल्हन को किसी भी संक्रमण से बचाने का प्रयास किया जाता है.

हल्दी और उबटन का औषधीय लाभ
आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी एक एंटीबायोटिक और कीटाणुनाशक है. प्राचीन समय में जब कोई कॉस्मेटिक उत्पाद नहीं थे, तब हल्दी और उबटन का प्रयोग सौंदर्य निखारने के लिए किया जाता था. इससे दूल्हा-दुल्हन को न केवल संक्रमण से बचाव मिलता है बल्कि उनकी त्वचा की सुंदरता भी बढ़ती है. आधुनिक समय में लोग फेस पैक और स्क्रब का उपयोग करते हैं, लेकिन हल्दी की परंपरा आज भी कायम है.

पीले रंग की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता
हल्दी का पीला रंग धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है और विवाह जैसे शुभ कार्यों में इसका उपयोग होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक है और हल्दी के लेप से दूल्हा-दुल्हन को इस ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो सुखी वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल माना गया है.

त्वचा की देखभाल में हल्दी का महत्व
त्वचा विशेषज्ञ डॉ. मैत्रीबेन पटेल के अनुसार, आजकल बढ़ते प्रदूषण और अन्य कारकों के कारण त्वचा पर नकारात्मक असर होता है. त्वचा की समस्याओं से बचने के लिए हल्दी या उबटन का लेप एक प्राकृतिक और लाभकारी उपाय है. यह दूल्हा-दुल्हन की त्वचा को न केवल सुंदर बनाता है, बल्कि उन्हें खुजली, दाग-धब्बे जैसी समस्याओं से भी राहत देता है.