राजनीतिक परिवार में बड़ा विवाद, पूर्व उपमुख्यमंत्री के बेटे को उम्रकैद
मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री प्यारेलाल कंवर के बेटे, हरभजन कंवर और उनके चार अन्य साथियों को दोषी ठहराए कोर्ट ने इन सभी को हत्या के आरोप में उम्रकैद की…
मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री प्यारेलाल कंवर के बेटे, हरभजन कंवर और उनके चार अन्य साथियों को दोषी ठहराए कोर्ट ने इन सभी को हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है।
संपत्ति विवाद हत्या की वजह एक संपत्ति विवाद था, जिसमें हरभजन कंवर और उनके छोटे भाई हरिश कंवर के बीच अनबन थी।
हत्या इस विवाद के कारण हरभजन कंवर (52) और उनके चार सहयोगियों ने 40 वर्षीय हरिश कंवर, उसकी पत्नी सुमित्रा कंवर (35) और उनकी 4 साल की बेटी यशिका की बेरहमी से हत्या कर दी।
कोर्ट का फैसला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की अदालत ने इन पांच आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई। जिन पांच लोगों को सजा दी गई, उनमें हरभजन कंवर, उनकी पत्नी धनकुंवर, उनके साले परमेश्वर कंवर, सुरेंद्र सिंह कंवर, और परमेश्वर के दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार शामिल हैं।
यह मामला संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद का बेहद दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम रहा, जिसमें पूरे परिवार को अपनी जान गंवानी पड़ी। अदालत ने मामले में न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करते हुए आरोपियों को कड़ी सजा दी है| पूर्व डेप्युटी सीएम प्यारेलाल कंवर मध्य प्रदेश के एक प्रमुख आदिवासी नेता थे, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे 1993 से 1998 तक दिग्विजय सिंह की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे थे, जब मध्य प्रदेश राज्य अविभाजित था। अपने जीवन में उन्होंने आदिवासी समुदाय के कल्याण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रयास किए। उनके योगदान के कारण उन्हें आदिवासी राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के रूप में माना जाता था। प्यारेलाल कंवर का निधन 2011 में हुआ था, लेकिन उनका राजनीतिक प्रभाव और उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी याद किए जाते हैं।
हरिश कंवर भी राजनीति में सक्रिय थे और वे प्यारेलाल कंवर के छोटे भाई के बेटे थे। उनके बीच संपत्ति को लेकर विवाद था, और यह विवाद इतना बढ़ गया कि यह खूनी संघर्ष में बदल गया।
घटना का विवरण:
यह हत्या 21 अप्रैल, 2021 को हुई थी। आरोपियों ने सुबह लगभग 4:15 बजे हरिश कंवर, उनकी पत्नी सुमित्रा कंवर, और उनकी 4 साल की बेटी यशिका को बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या का तरीका आरोपियों ने हरभजन कंवर और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर यह हत्याएं की। उनका यह अपराध बहुत ही जघन्य था, क्योंकि यह हत्या उनकी मां, जानकी बाई के सामने की गई थी। आरोपियों ने कथित तौर पर कसाई के चाकू से तीनों की हत्या की, जिससे यह घटना और भी क्रूर और भयावह बन गई। संपत्ति विवाद हत्या का कारण मुख्य रूप से संपत्ति विवाद था, जिसके चलते भाई-भाई के बीच हिंसा का रास्ता अपनाया गया।
आरोपी कैसे पकड़े गए
सीसीटीवी फुटेज और भागने का रास्ता पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच शुरू की, जिससे उन्हें वह रास्ता पता चला जिस पर आरोपी भागे थे। इस तरह पुलिस को पहला सुराग मिला।संदिग्ध दुर्घटना पुलिस को पता चला कि परमेश्वर कंवर (एक आरोपी) ने उसी रास्ते पर एक्सीडेंट किया था। इसे लेकर पुलिस ने उससे पूछताछ की, और जब वह झूठ बोलने लगा, तो पुलिस ने और गहन जांच की।
परमेश्वर का अपराध स्वीकार करना प्रारंभ में परमेश्वर ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने और सबूत इकट्ठा किए, उसे अपराध स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया।
टेक्स्ट मैसेज से कड़ी जुड़ी पुलिस को हरभजन कंवर के परिवार से भेजे गए एक फोन के जरिए एक टेक्स्ट मैसेज मिला। इस संदेश में लिखा था कि वे घर से निकल गए हैं और दरवाजा खुला छोड़ दिया है। इस संदेश ने आरोपियों के खिलाफ एक अहम कड़ी जोड़ी, जिससे मामला और स्पष्ट हो गया।
संपत्ति विवाद ने परिवार को बर्बाद किया
संपत्ति विवाद हरभजन और उनके छोटे भाई हरिश कंवर के बीच संपत्ति को लेकर लंबे समय से झगड़े हो रहे थे। यह विवाद परिवार के रिश्तों में खटास डालने का मुख्य कारण था।
मुआवजा और पेंशन का विवाद परिवार ने सरकार को एक ज़मीन का टुकड़ा बेच दिया, लेकिन हरिश ने मुआवजे के पैसे और अपनी मां की पेंशन भी अपने पास रख ली थी, जिससे विवाद और बढ़ गया। इस विवाद ने धीरे-धीरे भाई-भाई के रिश्ते में इतनी गहरी खाई पैदा कर दी कि वह हत्या तक पहुंच गई।
परिवार के सदस्यों द्वारा अंतिम दुआ हत्या के दौरान, एक चार साल की बच्ची की जान बचाने की गुहार लगाई गई थी। परिवार के सदस्यों ने परमेश्वर से बच्ची की जान छोड़ने की विनती की थी, लेकिन इसके बावजूद हत्या का सिलसिला जारी रहा।