कब से हैं शारदीय नवरात्रि? बेहद खास है इनका महत्व, भगवान राम और रावण से है कनेक्शन
शक्ति की देवी की उपासना पूजा पाठ करने के लिए नवरात्रि के दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण बताए गए हैं. साल 2024 में नवरात्रि आश्विन मास शुक्ला पक्ष की…
शक्ति की देवी की उपासना पूजा पाठ करने के लिए नवरात्रि के दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण बताए गए हैं. साल 2024 में नवरात्रि आश्विन मास शुक्ला पक्ष की प्रतिपदा 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो जाएंगे, जो नवमी 11 अक्टूबर तक किए जाने का विधान बताया गया है. साल में नवरात्र चार बार होते हैं, लेकिन इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि ही प्रमुख बताए गए हैं. नवरात्रों में देवी दुर्गा के निमित्त व्रत, पूजा पाठ आदि करने का महत्व बताया गया है.
कथाओं के अनुसार शारदीय नवरात्रि का महत्व भगवान राम और माता सीता से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान राम शक्ति की देवी की आराधना करने के लिए इंतजार नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने रावण के साथ अंतिम युद्ध करने से पहले 9 दिन तक देवी की पूजा अर्चना की थी. जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया था. शास्त्रों वेदों पुराणों में नवरात्रों का महत्व भगवान राम से जुड़ा हुआ बताया जाता है. शारदीय नवरात्रों का महत्व भगवान राम से जुड़ा हुआ है. ऐसी बहुत सी कथाओं का वर्णन शास्त्रों में मिलता है.
शारदीय नवरात्रों का महत्व भगवान राम से जुड़े होने के सवाल को लेकर हमने हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री से बातचीत की. उन्होंने सवाल का जवाब देते हुए लोकल 18 को बताया कि शारदीय नवरात्रों का महत्व भगवान राम और रावण से जुड़ा हुआ है. रावण के साथ अंतिम युद्ध से पहले भगवान राम ने शक्ति की देवी मां दुर्गा का आवाह्न कर पूजा अर्चना की थी. भगवान राम देवी दुर्गा की आराधना करने के लिए इंतजार नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने युद्ध से पहले माता दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की थी जिसके बाद उन्हें विजय प्राप्त हुई थी. नवरात्र पूरे होने के बाद दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी.
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार हर साल शारदीय नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होते हैं. इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के निमित्त व्रत, पूजा पाठ, दुर्गा स्तोत्र का पाठ, दुर्गा चालीसा का पाठ आदि करने का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रों में देवी दुर्गा स्वर्ग लोक से धरती लोक पर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए आती है. इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा भक्ति भाव से पूजा पाठ करने पर माता भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती है.