छत्तीसगढ़बस्तर

झूमाझटकी के बाद पुलिस ने आदिवासियों पर बरसाई लाठियां, कलेक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी

रावघाट खदान एरिया  के ग्रामीणों ने  कलेक्टर कार्यालय का किया घेराव , 20 सूत्रीय मांगों को  लेकर रावघाट संघर्ष समिति ग्रामीण कर रहे आंदोलन

नारायणपुर, हाईवे चैनल । अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर रावघाट संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रामीणों का समूह कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने पहुंचा। सुबह से ही ग्रामीण बिंजली गांव में एकत्रित होने लगे। दोपहर 12 बजे ग्रामीणों का समूह रैली की शक्ल में जिला मुख्यालय की ओर कूच किया। इस दौरान पुलिस के द्वारा ग्रामीणों को रोकने के लिए माहका में बेरिकेट्स लगाकर रोकने का प्रयास किया गया। यहाँ झूमाझटकी के बाद ग्रामीण पुलिस के बेरिकेट्स को तोड़कर आगे निकल आए। इसके बाद जनपद पंचायत के पास दो बेरिकेट्स को तोड़कर ग्रामीणों का समूह आगे बढ़ रहा था इस दौरान पुलिस ने लाठी भांज दिया। जिसमे कई ग्रामीणों को चोट पहुँची। यहाँ से निकलने के बाद ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय के मुख्य गेट तक पहुँच गए। यहाँ कलेक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जताया। कलेक्टर कार्यालय के गेट के सामने नारेबाजी कर ग्रामीण कलेक्टर को गेट में बुलाकर चर्चा करना चाह रहे थे। इस दौरान एसपी सदानंद कुमार मौके पर पहुँचे और ग्रामीणों से संवाद कर स्थिति को संभालने का प्रयास किया। एसपी की समझाईश के बाद भी ग्रामीण कलेक्टर को चेंबर से बाहर गेट पर बुलाकर बात करने की बात पर अड़े रहे । इस दौरान रावघाट संघर्ष समिति के एक प्रति निधिमंडल को  कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी से मिलने के लिए भेजा गया। इधर पौने दो घण्टे तक कलेक्टर का इंजतार करने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया और ग्रामीण नारेबाजी करते हुए पुलिस को धक्का मारते हुए गेट खोलकर कलेक्टर कार्यालय के अंदर घुस गए। इस दौरान कई पुलिस कर्मियों को चोट पहुँची। वक्त की नज़ाकत को देखते हुए पुलिस ने बेकाबू हुए ग्रामीणों पर लाठी भांजना शुरू कर दिया। 15 मिनट तक आंदोलनरत ग्रामीणों पर लाठियां चलाने के बाद मामला शांत हुआ। जिसके बाद आंदोलन के दौरान उपद्रव मचाने वाले युवकों को कलेक्टर कार्यालय के अंदर से बाहर निकाला गया। इसके बाद कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी चेंबर से निकलकर गेट पर पहुंचे और ग्रामीणों से कहा कि ज्ञापन शासन को भेजा जा रहा है। नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।  इसके बाद कलेक्टर वापस लौट गए ।इस दौरान ग्रामीणों के द्वारा शोर-शराबा किया गया। जिसके बाद एसपी सदानंद कुमार ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत करवा दिया। आंदोलन में 23 पंचायत के ग्रामीण पहुँचे थे। झूमाझटकी में ग्रामीणों के साथ पुलिस के कुछ जवानों को भी चोट पहुँची है।
रावघाट माइंस को बंद करने रावघाट खदान से प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने रावघाट माइनिंग को बंद करने की मांग करते ज्ञापन सौंपा। जिसमें बताया गया कि रावघाट में पूर्वज काल से राजाराव बाबा जिसको हम देवता के रूप में मानते हैं जिसके कारण पूरे माइनिंग क्षेत्र के पहाड़ को ही देवता के रूप में मानते आ रहे हैं और भविष्य में हम मानते रहेंगे इसलिए देव स्थल का किसी भी कीमत में सौदा नहीं करेंगे न ही क्षति होने देंगे और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हमारा मौलिक अधिकार है ।
वहीं  हमारे क्षेत्र के लोगों के जीवनयापन का एकमात्र साधन रावघाट पहाड़ी का लघु वनोपज है जिससे हमारे पूर्वज लोग एवं हम लोग जुड़े हुए हैं जिसमे महुआ , टोरा , आंवला , चार , चिरौंजी , तेंदू , कई प्रकार के कंदमूल आदि का संग्रहण कर आसानी से जीवनयापन किया जा रहा है । रावघाट माइनिंग खुलने के कारण हमारे जीवनयापन का सारा साधन छिन जायेगा । इसलिए हम इसका विरोध करते हैं । तीसरे बिंदु में लघु वनोपज के साथ पहाड़ों में कई प्रकार की औषधियों का भंडार है जिसके कारण हमारे क्षेत्र में कई बिमारियों का इलाज वन औषधि के माध्यम से अभी भी किया जाता है । बहुत सारे रोगों का इलाज हमारे ग्राम स्तर से हो जाता है । रावघाट माइनिंग की शुरुआत किये जाने की स्थिति में सम्पूर्ण औषधि नष्ट हो जायेगी और हम यह नहीं होने देंगे । हमारे रावघाट क्षेत्र में आदिवासी लोग पहाड़ के ऊपर स्थित मैदानी क्षेत्र में खेती , एवं कृषि कार्य करते है और घर का निर्माण भी करते हैं और पहले से ही कई गाँव बसे हुए हैं । रावघाट माइनिंग से ये सभी खेती और मकान नष्ट हो जायेंगे और लोग गाँव छोडऩे के लिए मजबूर हो जायेंगे । उदाहरण के तौर पर हमारे समुदाय के ग्राम अन्जरेल , पल्लाकसा और अन्य गाँव पहाड़ के ऊपर बसे हुए हैं , ये सभी माइनिंग से प्रभावित होंगे। रावघाट माइनिंग शुरू की जाएगी तो हमारे क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित हो जायेगा जिसके कारण प्रभावित क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ होंगी जैसे अस्थमा , कैंसर एवं सांस की कई गंभीर बीमारियाँ , तथा नदी नालो में गन्दगी होगी जिसके कारण हमारे क्षेत्र के लोगों को बहुत परेशानियाँ होंगी । यही अनुभव हमारे आसपास संचालित माइनिंग प्रभावित क्षेत्रों का भी है । इसलिए हम इसका विरोध करते हैं । रावघाट माइंस से 22 गोद ग्राम के अतिरिक्त भी बहुत बड़ा क्षेत्र प्रभावित होगा । खनन से सम्बंधित प्रक्रियाओं के परिणामों के कारण आर्थिक , सामाजिक , और पर्यावरणीय रूप से एक विशाल स्थानीय आबादी प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी । यहाँ की जल , मिटटी और वायु की गुणवत्ता में गिरावट , जलधारा प्रवाह में कमी , और खनन के कारण भू जल में गिरावट भी होगी । उपरोक्त करणवश हमारी ग्राम सभाओं ने अभी तक रावघाट माइंस परियोजना को सहमति नहीं दी है और आज भी उनका भरपूर विरोध कर रहे है । पांचवी अनुसूची के अंतर्गत इस क्षेत्र में ग्राम सभाओं के अनुमति के बिना माइंस संचालित करना गैरकानूनी है।
नारायणपुर में कारर्पोरेटी पुलिस राज:छग बचाओ आंदोनल
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने नारायणपुर में आंन्दोलकारी ग्रामीण आदिवासियों पर कार्पोरेटी पुलिस राज द्वारा किए गए लाठीचार्ज की घोर निंदा करते हुए कहा है कि पांचवी अनुसूचि के अंतर्गत क्षेत्रों में आदिवासियों को अपने संसाधनों को सुरक्षित रखने का भारतीय विधान के तहत पूर्ण अधिकार है। रावघाट में खनन के विरुद्ध उनकी विधिसम्मत माँगों को नजऱंदाज़ कर उन पर कु्ररता से लाठियाँ बरसाना लोकतांत्रिक प्रणाली का मज़ाक उड़ाना है। छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन  विरोध प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार पर ज़ोर रखते हुए दोहराता है कि आंदोलनकारियों के शांतिपूर्ण रैली और प्रदर्शन पर इस प्रकार के हिंसक रवैये को अपनाकर सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। आदोलनकारियों को रोकने और पीटने के बदले उनसे शीघ्र ज्ञापन स्वीकार करने की आवश्यकता थी।

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