नीट पेपर लीक मामला: सीबीआई के रडार पर सॉल्वर गिरोह के 33 सदस्य
नीट पेपर लीक मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के रडार पर पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा और कर्नाटक के सॉल्वर गिरोह के 33 सदस्य हैं। सभी 2021 में नीट में…
नीट पेपर लीक मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के रडार पर पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा और कर्नाटक के सॉल्वर गिरोह के 33 सदस्य हैं। सभी 2021 में नीट में फर्जीवाड़े के प्रयास के आरोप में सारनाथ थाने में दर्ज मुकदमे के आरोपी हैं। इस बार हुए फर्जीवाड़े के संबंध में इन 33 आरोपियों से पूछताछ कर सीबीआई सॉल्वर गिरोह की तह तक पहुंचने का प्रयास करेगी। आईएमएस बीएचयू के दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय की बीडीएस की छात्रा रही पटना की जूली कुमारी को 12 सितंबर 2021 को नीट परीक्षा के दौरान सारनाथ के एक केंद्र से गिरफ्तार किया गया था। वह त्रिपुरा की रहने वाली हिना विश्वास की जगह परीक्षा देते पकड़ी गई थी। इसके बाद 48 आरोपियों का नाम आया था। अहम सूत्रधार मिर्जापुर के चुनार थाना के कैलहट के डॉ. शरद सिंह पटेल को 22 अप्रैल 2024 को एसटीएफ ने आरओ/एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 का पेपर लीक कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था। डॉ. शरद और साथी हरियाणा का रवि अत्री इससे पहले भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा में धांधली के मामले में आरोपी रहे हैं। अफसरों का कहना है कि सीबीआई जल्द ही डॉ. शरद और रवी से अदालत की अनुमति से पूछताछ कर सकती है। इसके बाद 2021 वाले 31 आरोपियों से पूछताछ की जाएगी। नीट में फर्जीवाड़े के प्रयास के आरोप में सारनाथ थाने में दर्ज मुकदमे में 12 अभ्यर्थी भी आरोपी हैं। इनमें से सिर्फ त्रिपुरा की हिना विश्वास गिरफ्तार की जा सकी और अन्य अभ्यर्थी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सके थे।
21 गिरफ्तार हुए, नौ पर गैंगस्टर की कार्रवाई
सारनाथ थाने में दर्ज मुकदमे की विवेचना में 48 आरोपियों में 21 ही गिरफ्तार किए जा सके। नौ के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई। इसके अलावा शेष अन्य आरोपियों में कुछ की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर हो गई तो कुछ का आज तक पुलिस को पता ही नहीं है कि वह कहां हैं। सॉल्वर गैंग के डॉ. शरद सिंह पटेल का नाम नीट परीक्षा में फर्जीवाड़े के प्रयास में वर्ष 2022 में सामने आया था। मुकदमे के तत्कालीन विवेचक के प्रार्थना पत्र पर अदालत ने डॉ. शरद के खिलाफ एनबीडल्यू जारी किया था। उसी दौरान एक व्यक्ति ने विवेचक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कमिश्नरेट के अफसरों को प्रार्थना पत्र दिया और विवेचना रोहनिया थानाध्यक्ष को स्थानांतरित कर दी गई। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया और डॉ. शरद लगभग 14 माह तक खुले में घूमता रहा। बताया जा रहा है कि पूछताछ की जद में डॉ. शरद का वह करीबी भी आएगा।