छत्तीसगढ़

एनएमडीसी की खदानों तक पहुंचे लोहा तस्करों के हाथ

बचेली से लेकर रायपुर तक लोहा तस्करों का गिरोह सक्रिय 

 

तस्करों द्वारा रेल्वे रैक में भरवाया जा रहा अतिरिक्त लौह अयस्क

रेल्वे और एनएमडीसी के कुछ अधिकारी भी कर रहे मदद

आज कांकेर में पकड़ा गया दो ट्रक चोरी का लोहा

रेल्वे और एनएमडीसी को रोजाना हो रहा लाखों का नुकसान

बस्तर परिवहन संघ भी संदेहों के दायरे में

देवशरण तिवारी

जगदलपुर (हाईवे चैनल)।एनएमडीसी की बचेली स्थित खदानों से निकल रहे बेशक़ीमती लौह अयस्क की धड़ल्ले से तस्करी जारी है।रोज़ाना सैकड़ों टन लौह अयस्क चोरी छिपे बिना किसी वैध कागज़ात के रायपुर के कुछ स्पंज आयरन प्लांटों में खपाया जा रहा है।हैरानी की बात यह है कि बचेली से लेकर रायपुर तक खनिज विभाग के सभी नाके पार कर ये ट्रकें रायपुर पहुंच रही हैं वो भी बिना किसी रोक टोक के।इस पूरे मामले में एनएमडीसी बचेली के साथ साथ रेल्वे के भी कुछ अधिकारियों की स्पष्ट रूप से संलिप्तता उजागर हुई है।जगदलपुर के बड़े आरापुर और जगदलपुर रेलवे साइडिंग से यह चोरी का माल बस्तर परिवहन संघ की ट्रकों से पार किया जा रहा हैं।पूरा मामला इस प्रकार है।बचेली से रेलवे रैक के माध्यम से रायपुर के उद्योगों द्वारा जगदलपुर की इन रेलवे साइडिंग में आयरन ओर मंगवाया जा रहा है।बचेली से ऑन रिकॉर्ड्स जो आयरन और रेलवे रैक में लोड हो रहा है उसका वजन वास्तविक वजन से कम लिखा जा रहा है और रेलवे साइडिंग में उसकी मात्रा 500 से 600 टन तक बढ़ रही है।इसी अतिरिक्त माल को कुछ ट्रांसपोर्टर बिना किसी दस्तावेज़ के रायपुर ले जा कर कुछ स्पंज आयरन प्लांट मालिकों को आधी कीमत पर बेच कर रोज़ाना लाखों रुपये की अवैध कमाई कर रहे है।एनएमडीसी जिस आयरन ओर सीएलओ को 10 हज़ार रुपये प्रति टन के हिसाब से बेच रहा है उसी माल को ये तस्कर 6 से 7 हज़ार रुपये प्रति टन के हिसाब से रायपुर के उद्योगपतियों को बेच रहे हैं। पिछले महीने जगदलपुर के कुछ रेलवे साइडिंग में पहुंचे लौह अयस्क के रेलवे और एनएमडीसी के बिल और रेलवे रिसिप्ट हमें मिले है जिसमे प्रत्येक रैक में 200 से 400 और 500 टन तक लौह अयस्क की अधिक मात्रा यहां अनलोडिंग के दौरान प्राप्त हुई है।यहां परिवहन का काम कर रहे बस्तर परिवहन संघ द्वारा अनलोड हुई वास्तविक मात्रा को भर कर रायपुर के वास्तविक खरीददारों को पहुंचाया जा रहा है लेकिन हज़ारों टन अघोषित मात्रा चोरी छिपे कुछ ट्रांसपोर्टर्स द्वारा बिना किसी दस्तावेज़ के रायपुर ले जा कर बेचा जा रहा है।इस पूरे मामले में एनएमडीसी को रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है और तस्कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

बस्तर परिवहन संघ की भूमिका संदेहास्पद

इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब आज कांकेर में इस चोरी के लौह अयस्क का परिवहन करते तीन ट्रकों को पकड़ा गया।तीनों ट्रकों में एनएमडीसी का लौह अयस्क (सीएलओ )भरा हुआ है।सभी ट्रकें ओवर लोडेड हैं।ये सभी ट्रकें शनिवार को जगदलपुर के बड़े आरापुर की रेलवे साइडिंग से लोड की गई थीं।सभी गाड़ियां बस्तर परिवहन संघ के सदस्यों की हैं।जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस पूरे मामले में बस्तर परिवहन संघ की महत्वपूर्ण भूमिका है।प्रत्येक रेक के लिए बस्तर परिवहन संघ से बुक होने वाली ट्रकों की संख्या और उनमें भरे गए माल के सम्पूर्ण वजन की यदि बारीकी से जांच की जाए तो पूरा मामला और भी स्पष्ट हो सकेगा।

बचेली के लोडिंग पॉइंट से चल रहा पूरा खेल

तस्करी का पूरा मामला एनएमडीसी बचेली के लोडिंग पॉइंट से शुरू हो रहा है।रायपुर की कंपनियों के लिए लायजनिंग करने वाले एक व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है जिसे लोडिंग पॉइंट में तैनात एनएमडीसी के कुछ अधिकारी पैसों की लालच में मदद कर रहे हैं।इधर बड़े आरापुर के अनलोडिंग पॉइंट में किसी सेंगर नामक व्यक्ति का नाम सामने आया है जिसके द्वारा अतिरिक्त लौह अयस्क बस्तर परिवहन संघ की वाहनों में भरवा कर रायपुर भेजा जा रहा है।रायपुर के एक मनोज नामक व्यक्ति की भी पहचान हुई है जो रायपुर के उद्योगपतियों तक यह चोरी का लोहा पहुंचा रहा है।

खनिज विभाग और पुलिस का संरक्षण

बचेली से रायपुर तक संचालित हो रहे इस बड़े खेल में माइनिंग विभाग और पुलिस की भी बड़ी भूमिका है क्यों कि बिना इन दो विभागों के संरक्षण के खुले आम यह तस्करी संभव ही नहीं है।रेलवे रैक से अनलोड होने के बाद यह माल सड़क मार्ग से रायपुर ले जाया जा रहा है।जगदलपुर से लेकर रायपुर के बीच पड़ने वाले थानों और माइनिंग विभाग के कई जांच नाकों को पार कर रोज़ाना ऐसे दर्ज़नों ट्रक रायपुर कैसे पहुंच रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है।

एनएमडीसी और रेल्वे दोनों को हो रहा भारी नुकसान

एक तरफ रेलवे रैक में भरवाए जा रहे अतिरिक्त लौह अयस्क की कीमत एनएमडीसी को नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से उसे बड़ा नुकसान हो रहा है।दूसरी तरफ इस अतिरिक्त माल का भाड़ा भी रेलवे को नहीं मिल पा रहा है।इस तरह भारत सरकार के दोनों उपक्रमों को तो लंबा नुकसान हो ही रहा है, राज्य सरकार को भी इस चोरी के लौह अयस्क की रॉयल्टी नहीं मिल पा रही है।

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