केजरीवाल ने संघ प्रमुख से पूछे सवाल……..क्या संघ ने इसतरह बीजेपी की कल्पना की थी?
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखा। केजरीवाल…
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखा। केजरीवाल ने अपने पत्र में भाजपा की कार्यशैली और देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा, भाजपा इस देश को जिस दिशा में लेकर जा रही है, वहां भारतीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तब देश का लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।
केजरीवाल ने संघ प्रमुख से पहला सवाल पूछा, भाजपा के नेतृत्व में तरह-तरह के लालच देकर, ईडी और सीबीआई की धमकी देकर, दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ा जा रहा है। क्या इस तरह से लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक चुनी हुई सरकार को गिरा देना सही है? उन्होंने पूछा कि क्या इस तरह बेईमानी करके सत्ता हासिल करना आरएसएस को मंजूर है।
दूसरे सवाल में, केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह पर निशाना साधकर कहा कि दोनों नेताओं ने भरे मंच पर कुछ नेताओं को भ्रष्टाचारी कहा और फिर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल किया। उन्होंने कहा कि 28 जून 2023 को प्रधानमंत्री ने एक नेता पर 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया और उसके कुछ दिन बाद उसी नेता को डिप्टी सीएम बना दिया। क्या संघ ने इसतरह बीजेपी की कल्पना की थी? केजरीवाल का तीसरा सवाल, भाजपा एक ऐसी पार्टी है, जो आरएसएस के कोख में पैदा हुई है। अगर भाजपा पथ भ्रमित हो जाए, तब भाजपा को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी आरएसएस की बनती है। चौथे सवाल में, केजरीवाल ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान का जिक्र किया, इसमें नड्डा ने कहा था कि हमें आरएसएस की जरूरत नहीं है। केजरीवाल ने कहा, क्या बेटा अब इतना बड़ा हो चुका है कि वहां अपनी मां को आंखें दिखाने लगेगा?
अंत में, केजरीवाल ने कानून का जिक्र कर कहा कि भाजपा ने एक कानून बनाया था कि 75 साल बाद नेता रिटायर हो जाएंगे, लेकिन शाह ने कहा कि यह कानून प्रधानमंत्री मोदी पर लागू नहीं होगा। उन्होंने पूछा, क्या इस पर आपकी सहमति है कि जिस कानून के तहत आडवाणी जी को रिटायर किया गया, वह अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगा? क्या कानून सबके लिए समान नहीं होना चाहिए?