छत्तीसगढ़

जगदलपुर के सनसिटी मामले में रेरा की बड़ी कार्रवाई

रहवासियों ने ली राहत की सांस

खस्ताहाल सनसिटी की अब सुधरेगी हालत.

पृथ्वी डेवलपर पर रेरा की बड़ी कार्रवाई.

सब्ज़बाग़ दिखा कर लोगो को दिया गया धोखा.

जहां स्विमिंग पूल और क्लब का सपना दिखाकर बेचे प्लॉट

वहाँ आज सड़क और नाली तक नहीं.

जगदलपुर(हाईवे चैनल )छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने जगदलपुर की सनसिटी कॉलोनी में अधूरे विकास कार्यों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। प्राधिकरण ने प्रमोटर पृथ्वी डेवलपर्स को नाली, सडक़, उद्यान, जल आपूर्ति और क्लब हाउस जैसे कार्यों को 1 महीने के अंदर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, परियोजना को रेरा में पंजीकृत न करने के लिए धारा 59 के तहत अलग से कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया गया है। यह फैसला 17 दिसंबर को एक प्रकरण में पारित किया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे फैसले खरीदारों के अधिकारों को मजबूत करेंगे। जगदलपुर नगर निगम अब कार्यों की निगरानी करेगा।

शिकायतकर्ता प्रितेश दोषी, जो सन सिटी के प्लॉट नंबर 302 और 303 के मालिक हैं, ने 2018 में रेरा में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि डेवलपर ने ब्रोशर में स्विमिंग पूल, सडक़ें, पानी की आपूर्ति, पार्क जैसी सुविधाओं का वादा किया था, लेकिन 14 साल बाद भी ये सुविधाएं नहीं दी गईं। दोषी ने 2004-2005 में प्लॉट खरीदे थे और कुल 6.51 लाख रुपये का भुगतान किया था। उन्होंने कहा कि डेवलपर ने विकास कार्य पूर्ण किए बिना ही 2008 में नगर निगम से पूर्णता प्रमाण पत्र ले लिया था।

 

प्राधिकरण ने मामले की जांच के लिए कमिश्नर नियुक्त किया, जिसकी रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि नाली (ड्रेन वर्क), कलवर्ट पुलिया, सीसी रोड, उद्यान विकास, वृक्षारोपण, जल आपूर्ति नेटवर्क, ब्लैक टॉप रोड और क्लब हाउस का निर्माण अधूरा है। केवल विद्युतीकरण कार्य पूरा हुआ है। रिपोर्ट में फोटो भी संलग्न हैं, जो अधूरे कार्यों की स्थिति दिखाते हैं।
पृथ्वी डेवलपर्स ने दावा किया कि परियोजना केवल विकसित प्लॉट्स की है और विकास कार्य 2008 में पूरे हो चुके थे। लेकिन प्राधिकरण ने हाईकोर्ट के 2021 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि परियोजना ऑनगोइंग है, इसलिए रेरा पंजीकरण जरूरी था। हाईकोर्ट ने माना था कि अधूरे कार्यों के कारण पूर्णता प्रमाण पत्र रद्द किया जा सकता है और रेरा के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।

प्राधिकरण के अध्यक्ष संजय शुक्ला और सदस्य धनंजय देवांगन ने आदेश में कहा कि डेवलपर को सक्षम प्राधिकारी से मानकों के अनुसार कार्य पूर्ण कर पूर्णता प्रमाण पत्र लेना होगा।

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