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जगदलपुर, 07 अक्टूबर। बस्तर दशहरा के अंतर्गत मुरिया दरबार सहित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अपने एक दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान जगदलपुर पहुंचने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आत्मीय स्वागत किया गया। जगदलपुर के मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट में जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, दीपक बैज, बस्तर क्षेत्र लखेश्वर बघेल, रेखचन्द जैन, मिथिलेश स्वर्णकार,राजीव शर्मा, सहित बस्तर संभाग के विधायक, महापौर, कलेक्टर एवं एसपी सहित अधिकारी, जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री श्री बघेल की अगवानी की। 

जगदलपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री ने दंतेश्वरी मंदिर पहुंचकर माता दंतेश्वरी की पूजा अर्चना की। तत्पश्चात ऐतिहासिक सिरहासार भवन में मुरिया दरबार में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया। 

बस्तर दशहरा में शामिल होने पहुँचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिरहासार भवन के समीप शहीद स्मारक परिसर में मुरिया विद्रोह के जन नायक झाड़ा सिरहा की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बस्तर जिले में 89 विकास कार्यों लागत लगभग 173 करोड़ 28 लाख से अधिक राशि का लोकार्पण-शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री 77 करोड़ 38 लाख 72 हजार के 22 विकास कार्यों का लोकार्पण तथा 95 करोड़ 89 लाख 72 हजार के 67 विकास कार्यों का भूमिपूजन किया।
इस अवसर पर उद्योग व जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, उपाध्यक्ष संतराम नेताम, विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन, शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजीव शर्मा, हस्त शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप , क्रेडा बोर्ड के अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार,कोंड़ागाँव विधायक मोहन मरकाम, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, महापौर श्रीमती सफीरा साह, ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष बलराम मौर्य, नगर निगम सभापति श्रीमती कविता साह, कमिश्नर श्याम धावड़े, आई जी सुंदर राज पी., कलेक्टर चंदन कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जननायक झाड़ा सिरहा के जीवनी पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया।


शहीद झाड़ा सिरहा की प्रतिमा को शहर के सिरहासार चैक स्थित शहीद स्मारक के पास लगाया गया है। वीर शहीद झाड़ा सिरहा का जन्म बस्तर जिले के आगरवारा परगना के अंतर्गत ग्राम बड़े आरापुर में परगना मांझी एवं माटी पुजारी परिवार में हुआ था। वे बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। वे जड़ी बूटियों के जानकार, कुशल नेतृत्वकर्ता और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। 

उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें 1876 में हुए मुरिया विद्रोह में नेतृत्व किया।
विद्रोह में बस्तर की आदिम संस्कृति की रक्षा, जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा, सामाजिक रीति-नीतियों के संरक्षण और अंग्रेजों से मिले सामंतवादियों द्वारा किये जा रहे शोषण के विरूद्ध सभी आदिवासियों ने झाड़ा सिरहा के नेतृत्व में आवाज उठाई थी। अपनी कुशल संगठन क्षमता और रणनीति के साथ पूरे दमखम से लड़ते हुए अंग्रेजी फौज के हाथों झाड़ा सिरहा 1876 में वीरगति को प्राप्त हुए थे।