शरद पवार पर हमला कर गडकरी ने क्यों कहा………………..प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज
मुंबई । महाराष्ट्र चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ी हुई है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बटेंगे तो कटेंगे के नारे के साथ महाविकास अघाड़ी (एमवीए)…
मुंबई । महाराष्ट्र चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ी हुई है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बटेंगे तो कटेंगे के नारे के साथ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) पर निशाना साध रही है, वहीं दूसरी ओर एमवीए का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2024 की तरह ही राज्य की जनता एक बार फिर उन पर विश्वास दिखाएगी। 20 नवबंर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से तैयारी कर रही हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में दो प्रमुख पार्टियां एनसीपी और शिवसेना के दो गुट बन चुके हैं, और दोनों गुट एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि पार्टी की वजह से इन दोनों पार्टियों के गुट बने हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है।
प्यार और जंग में सब जायज है,
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार पर आरोप लगाया कि उन्होंने ही महाराष्ट्र में कई राजनीतिक दलों को तोड़ा है। उन्होंने कहा, प्यार और जंग में सब जायज है, यह कहकर गडकरी ने शरद पवार पर निशाना साधा। उनका कहना था कि पवार ने अपनी राजनीति के चलते शिवसेना को तोड़ा और छगन भुजबल सहित कई नेताओं को अपनी पार्टी से बाहर कर दिया। हालांकि, गडकरी ने कहा कि राजनीति में इस तरह के घटनाक्रम आम होते हैं। उनका कहना था, एक कहावत है, प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज है। केंद्रीय मंत्री गडकरी का बयान एनसीपी के विभाजन के संदर्भ में आया है। जुलाई 2023 में अजित पवार ने 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी, जिसके बाद एनसीपी दो हिस्सों में बंट गई थी। अजित गुट बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ सरकार में शामिल हो गया, और अजित को उपमुख्यमंत्री का पद भी मिला। यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ था, और इसके बाद से शरद और अजित पवार के बीच की दूरी और गहरी हो गई। बीजेपी के महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री गडकरी का बयान न केवल शरद पर व्यक्तिगत हमला है, बल्कि यह आगामी चुनावों के लिए बीजेपी की रणनीतिक चाल भी हो सकता है, जिसमें पवार के पुराने कदमों को हथियार बनाकर उनका राजनीतिक प्रभाव घटाने की कोशिश की जा रही है।