छत्तीसगढ़

सरकारी संरक्षण में चल रही मौत की दुकानेँ

सरकारी संरक्षण में चल रही मौत की दुकानेँ

बस्तर में पैथोलॉजी लैब चलाने के लिए लाइसेंस ज़रूरी नहीं

पैसों के लिए फर्जी लैब की रिपोर्ट पर पैथोलॉजिस्ट कर रहे हस्ताक्षर

खूब फल फूल रहा अवैध पॉलीक्लीनिक का भी धंधा

लोगों के जीवन से हो रहा खिलवाड़ विभाग मौन

रामानंद झा /निज़ाम रहमान

जगदलपुर।(हाईवे चैनल )बस्तर में बेगैर अनुमति चल रहे  दर्जनों पॉली क्लिनिक और इन क्लिनिक में विशाखापत्तनम के चिकित्सकों के माध्यम से चल रही सांगठनिक लूट  खुले आम जारी है।स्वास्थ्य विभाग की सांठ गांठ से इस तरह के मेडिकल माफिया का करोड़ों का कारोबार बेखौफ जारी है।तमाम शिकायतों के बाद भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं ।उनका कहना है कि ये सब गैरकानूनी है लेकिन सत्ता में बैठे राज नेताओं के दबाव में वे कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे है।

ऐसा ही एक बड़ा गैरकानूनी व्यापार फ़र्ज़ी पैथोलॉजी लैब्स के माध्यम से पूरे बस्तर में फैल चुका है।जो लैब्स स्वास्थ्य विभाग में रजिस्टर्ड हैं उनमें एक ही पैथोलोजिस्ट कई लैबों की रिपोर्ट्स पर आंख बंद कर दस्तखत कर रहे हैं और रिपोर्ट्स पर बिना देखे दस्तखत करने के लिए एक एक लैब से हर माह लाखों की अवैध कमाई कर रहे हैँ। जिन्हें वैध बताया जा रहा है वहाँ तो गोरखधंधा जारी है ही साथ ही 50 से अधिक ऐसे लैब भी संचालित किए जा रहे हैं जिनके पास लायसेंस ही नही है।हैरानी की बात तो यह है खुद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने हमें ऐसे दर्जन भर पैथोलॉजी लैब्स की सूची मुहैया कराई है जिन्हें लायसेंस नहीं दिया गया है फिर भी गैरकानूनी रूप से इनका संचालन किया जा रहा है।इन सूचीबद्ध लैब्स पर आज तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

ऐसे ही दो पैथोलॉजी लैब विकासखंड लौंहड़ीगुड़ा के उसरीबेड़ा में संचालित किये जा रहे हैं। उसरीबेड़ा में  के.आर. हेल्थ केयर पैथोलॉजी लैब और एक अन्य पैथोलॉजी लैब कलेक्शन सेंटर के  नाम से लोहंडीगुड़ा के सरकारी अस्पताल (बीएमओ कार्यालय) के ठीक सामने संचालित हो रहे हैं। इनकी रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक मरीजों को दवाइयां दे रहे हैं। उसरीबेड़ा के यह दोनों दुकान रूपी पैथोलॉजी लैब शासन के निर्धारित न्यूनतम मानकों को भी पूरा नहीं करते हैं।

 

बीएमओ कार्यालय के सामने फर्जी तौर पर विगत 2 सालों से यह मौत की दुकानें  संचालित हो रही हैं और स्वास्थ्य विभाग ने कभी इनकी सुध लेने की जरूरत महसूस नहीं की है। यह दोनों लैब बगैर पंजीयन के अप्रशिक्षित कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं। इन लैब के सामने  तमाम तरह की जांच करने का दावा बाकायदा बोर्ड लगाकर किया गया है।

इसी तरह जगदलपुर की एक और लैब हेल्थ एंड लाइफ़स्टाइल डायग्नोस्टिक जगदलपुर इसका संचालन जितेंद्र कौशिक नाम के व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। उसरीबेड़ा का पैथोलॉजी लैब  सह कलेक्शन सेंटर  का भी संचालन यही कौशिक नामक व्यक्ति कर रहा है। इन दोनों पैथोलॉजी लैब का पंजीयन नहीं है और इन्होंने अपने साइन  बोर्ड में अपोलो अस्पताल  का नाम भी लिख रखा है। अपोलो का नाम लिख कर यह संचालक यह दर्शाना चाह रहा है कि यह अपोलो संस्थान से अनुबंध पर कार्य संचालित कर रहा है।

इसी तरह बालाजी नगर धरमपुर में एक विशिष्ट आयुर्वैदिक  क्लीनिक संचालित हो रहा है इसके संचालक का नाम जितेंद्र कुमार( बीएएमएस ) है।इस संस्था में भी पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहा है ।जब इस संबंध में यहां के संचालक से बात की गई तब पता चला पैथोलॉजी लैब  ही नहीं यहां चल रहा पूरा अस्पताल ही पंजीकृत नहीं है। इस संस्था में लोगों की न केवल पैथोलॉजी जांच की जा रही है अपितु मरीजों को भर्ती कर एलोपैथी तरीके से इलाज भी किया जा रहा है। शहर में और भी कई एसे लैब है जो इसी तर्ज पर चल रहे हैं।

लैब संचालकों ने कहा आवेदन करने के बाद चला सकते हैं लैब

जब बिना पंजीयन के पैथोलॉजी लैब संचालन किए जाने के संबंध में संचालकों से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा सालों पहले से पंजीयन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है। आवेदन देने के बाद अगर चिकित्सा विभाग ने पंजीयन नहीं किया है तो हम क्या कर सकते हैं। । लैब संचालकों ने कहा कि गैर कानूनी तरीके से लैब चलाने की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की है वह अगर सालों पहले हमें पंजीकृत कर देते तो हम फर्जी लैब क्यों चलाते हैं। उसरीबड़ा और जगदलपुर में अपोलो का बोर्ड लगाकर लैब चलाने वाले कौशिक ने बताया कि हमारा अधिकार है आवेदन प्रस्तुत कर हम हजारों लैब संचालित कर सकते हैं हमें कोई नहीं रोक सकता। शुरुआत में लैब संचालकों ने जो आवेदन प्रस्तुत किया है उसे दिखाकर गुमराह करने की कोशिश की गई और बताया गया कि यही लाइसेंस है पर जब उन्हें यह बताया गया कि यह लाइसेंस नहीं है यह आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया आवेदन है तो उनके पास इसका कोई भी जवाब नहीं था।

अपंजीकृत लैब  संचालकों पर होगी कार्यवाही- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

 

पूरे मामले को लेकर जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ  संजय बसाक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बिना पंजीयन के पैथोलॉजी लैब चलाना गैरकानूनी है। अगर इस तरह पैथोलॉजी लैब का संचालन किया जा रहा है तो उनके संचालकों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि इन अपंजीकृत लैब की सूची भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने ही उपलब्ध कराई है परंतु इस सूची को उपलब्ध कराते वक्त इन्होंने नहीं सोचा कि उनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। सीएमएचओ ने कहा हम किसी पर कार्रवाई करना भी चाहते हैं तो राजनीतिक दबाव के चलते नहीं कर पाते हैं।

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