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हाईवे चैनल की खबर का असर

मौत की दुकानों पर कार्रवाई शुरू

हाईवे चैनल की खबर का असर

मौत की दुकानों पर कार्रवाई शुरू

पॉलीक्लीनिक बने लूट के अड्डे

फर्जी पैथॉलाजी लैब्स पर प्रशासन की कार्रवाई, लगा जुर्माना

बिना अनुमति चल रहे थे लैब

कई पॉलीक्लीनिक और निजी अस्पताल भी जांच के दायरे में

बाहरी अपंजीकृत डॉक्टरों पर भी कार्रवाई के निर्देश

हाईवे चैनल  | जगदलपुर, 16 अक्टूबर। बस्तर में फर्जी पॉलीक्लीनिक, अपंजीकृत पैथोलॉजी लैबों के संचालन की खबरें बीते दिनों हाईवे चैनल ने प्रकाशित की थीं। खबरों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर बस्तर ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कलेक्टर बस्तर एस. हरिश के निर्देशानुसार बस्तर जिले में संचालित निजी स्वास्थ्य केन्द्रों, डायग्नोस्टिक लैब, कलेक्शन सेंटर इत्यादि के विषय में जिला नर्सिग होम एक्ट समिति  द्वारा निरिक्षत कार्यवाही की गई जिसमें नर्सिग होम एक्ट के प्रावधानों के विपरित कार्य करने एवं नियमों के पालन मे कमियां पाये जाने पर प्रति संस्था को 20,000 का अर्थदण्ड अधिरोपित करने की अनुशंसा जिला समिति नर्सिग होम एक्ट इकाई द्वारा की गई है। जिसमें स्पर्श पॉलीक्लीनिक, स्पर्श पैथोलॉजीलैब, बालाजी पॉलीक्लीनिक, मेडिकेयर पैथौलॉजी लैब, बालाजी डायग्नोस्टिक सर्विस पर जुर्माना लगाया गया है।
जिले में नर्सिग होम एक्ट के अंतर्गत लंबित आवेदनों के विषय में समिति द्वारा आवेदनों का अवलोकन कर, अपूर्ण तथा नियमों से संबंधित अहर्तापूर्ण न होने के कारण कई संस्थाओं के पंजीयन संबंधी आवेदनो को अस्वीकार किया गया है।

जिनमें वशिष्ठ आयुर्वेदिक क्लीनिक धरमपुरा से संबंधित कलेक्शन सेंटर, संजीवनी क्लीनिक नगरनार, डॉ. गोपश कुमार क्लीनिक पुराना गीदम रोड, डॉ. आजाद डायग्नोस्टिक चोकावाड़ा, डॉ.आजाद डायग्नोस्टिक प्रताप देव वार्ड, पंजाब पॉलीक्लीनिक प्रताप देव वार्ड, स्वास्थ्य हित पॉलीक्लीनिक सेमरा, प्रीयांश पॉलीक्लीनिक परपा नाका, डॉ. हेमंत कुमार कलेक्शन सेंटर बालाजी वार्ड, डॉ. सोनी पॉलीक्लीनिक भैरम देव वार्ड पैथोलॉजी लैब, कलेक्शन सेंटर उसरीबेड़ा, राधा-स्वामी हॉस्पीटल आड़ावाल, डॉ. योगिता पॉलीक्लीनिक कस्तुरी, दंतेश्वरी ट्रॉमा एंड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल धरमपुरा रोड एवं उज्जवल डाइग्नोस्टिक सेंटर शामिल हैं।

 

 

उपरोक्त संस्थाओं का आवेदन अस्वीकार किया गया है अर्थात पंजीयन होने से पहले ही इनका पंजीयन निरस्त कर दिया गया जबकि यह संस्थाएं सालों से लोगों को ठग रही थी। जिले के नर्सिंग एक्ट नोडल अधिकारी ने बताया कि जिला समिति नर्सिग होम एक्ट को आदेशित किया गया है कि कार्य योजना बनाकर ऐसी संस्थाए, जो बिना उचित पंजीयन के राज्य के बाहर के चिकित्सकों के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं तथा पूर्व से पंजीकृत सभी स्वास्थ्य संस्थाओं, अस्पतालों तथा लैब इत्यादि की  जांच कर कमियां पाए जाने पर जिन संस्थाओं के द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, उन्हें बंद करने की कार्यवाही नियमानुसार सुनिश्चित करें। जिला समिति नर्सिग होम एक्ट द्वारा ग्रामीण ईलाकों में अवैध चिकित्सकों, झोलाछाप, अवैध लैब संचालकों पर भी कार्यवाही हेतु जिला कलेक्टर बस्तर के निर्देशानुसार निरीक्षण दल बना कर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ न हो तथा बेहतर एवं वैधानिक रूप से सही निजी स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को मिल सके इसके लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार आगे भी कार्यवाही जारी रखेगा।

कॉर्पोरेट अस्पतालों के दलालों के रूप में काम कर रहे पॉलीक्लीनिक संचालक

शहर में करीब एक दर्जन पॉलीक्लीनिक संचालित किए जा रहे हैं। इन पॉलीक्लीनिक का संचालन सेवा के रूप में नहीं बल्कि कॉर्पोरेट अस्पतालों के लिए मरीजों को फांसने के लिए किया जा रहा है। हर शनिवार और रविवार को विशाखापत्तनम से आने वाले चिकित्सकों के साथ मिलकर विभिन्न रोगों का शर्तिया इलाज करने के झूठे दावों के साथ इन पॉलीक्लीनिक में लोगों को लूटा जा रहा है। पहले तो इन दलालों द्वारा हर मरीज से पांच सौ से एक हजार रुपए तक इन बाहरी डॉक्टरों के परामर्श शुल्क के नाम पर वसूले जाते है। करीब सौ से डेढ़ सौ मरीजों को एक ही दिन में परामर्श दिया जा रहा है और रोजाना लाखों रुपए गरीबों से वसूले जा रहे हैं। जिसमें से आधा हिस्सा इन दलाल रूपी पॉलीक्लीनिक संचालकों का होता हैं। जो मरीज सिर्फ दवा से ठीक हो सकते हैं उन्हें भयभीत कर विशाखापत्तनम बुलाया जाता है और इन मरीजों और उनके परिजनों को महंगे और अनावश्यक टेस्ट के नाम पर लूटा जाता है। कई ऐसे भी मरीज हैं जिन्हें अनावश्यक रूप से वहां के कॉर्पोरेट अस्पतालों में भर्ती कर लाखों रुपए का भुगतान करने बाध्य किया जा रहा है। जो वास्तव में काबिल चिकित्सक विशाखापत्तनम और हैदराबाद में सेवाएं दे रहे हैं उनके पास इतनी फुरसत नहीं है कि वे इतनी दूर जगदलपुर आकर लोगों का उपचार करें। यहां आने वाले अधिकांश चिकित्सक ऐसे हैं जो नए नवेले हैं और जिनके पास काम नहीं है अथवा जिनकी अभी तक वहां पहचान नहीं बन सकी है। कई ऐसे हैं जिनकी डिग्री ही फर्जी है। बस्तर का चिकित्सा विभाग आज तक इन बाहरी झोलाछाप डॉक्टरों का झोला तक भी चेक नहीं कर पाया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल से इन चिकित्सकों ने छत्तीसगढ़ में काम करने की अनुमति ली भी है या नहीं यह भी पूछने की फुर्सत यहां के स्वस्थ विभाग को नहीं है। साधारण से चिकित्सकों को यहां के दलालों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के डॉक्टरों के रूप में प्रचारित किया जाता है। लाखों रुपए इनके लिए विज्ञापनों में खर्च किए जा रहे हैं। विज्ञापनों में इन नौसिखिए और झोलाछाप डॉक्टरों को ऐसे महिमामंडित किया जा रहा है जैसे वे यहां से मात्र तीन सौ किलोमीटर दूर से नहीं बल्कि देवलोक से साक्षात धनवंतरी के दूत के रूप में यहां अवतरित हो रहे हैं।

औपचार्यागृह तथा रोगोपचार संबंधी अनुज्ञप्ति संदेहों के दायरे में

शहर में चल रहे दर्जन भर पॉलीक्लीनिक को दिया गया लायसेंस भी संदेहों के दायरे में है। नर्सिंग एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ स्टेट औपचार्यागृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम 2010 के तहत कलेक्टर बस्तर द्वारा इन्हें प्रदान किया गया लायसेंस भी संदिग्ध है क्योंकि कलेक्टर बस्तर के कार्यालय में इन पॉलीक्लीनिक द्वारा प्रस्तुत आवेदन, आवेदन के साथ संलग्न अन्य विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र और क्लीनिक में उपलब्ध चिकित्सकीय सुविधाओं से संबंधित घोषणा पत्र आदि कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। इन पॉलीक्लीनिक को 5 वर्षों के लिए लायसेंस दिया गया है लेकिन इस लायसेंस से संबंधित कोई भी जानकारी लायसेंस प्रदान करने वाले अधिकारी के कार्यालय से गायब हो जान भी कई सवाल खड़े कर रहा है।
कोई भी पॉलीक्लीनिक शासन द्वारा नर्सिंग एक्ट के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं कर रहा है। छोटे-छोटे कमरों में पॉलीक्लीनिक संचालित हो रहे हैं। मरीजों की जांच के लिए कोई उपकरण और उनको उपलब्ध कराए जाने वाली सुविधाओं का आता पता नहीं है। यहां तक की मरीजों के बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था इन तथाकथित पॉलिकिनिकों में नहीं है। मरीज और उनके परिजन क्लीनिक के बाहर सड़क पर घंटों खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते बेहद आसानी से देखे जा सकते हैं।

दिनांक 29 सितम्बर को प्रकाशित समाचार

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