सिंधुदुर्ग में मूर्ति टूटी क्योंकि नीयत साफ नहीं थी : राहुल गांधी
मुंबई । कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि लोगों को डराने और देश में संविधान को नष्ट करने के बाद शिवाजी महाराज के…
मुंबई । कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि लोगों को डराने और देश में संविधान को नष्ट करने के बाद शिवाजी महाराज के सामने झुकने का कोई फायदा नहीं है। वे कोल्हापुर में शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण करने पहुंचे थे। राहुल ने कहा कि नीयत दिख जाती है। उसे छिपा नहीं सकते। उन्होंने मूर्ति बनाई, जो कुछ दिन बाद टूट गई। उनकी नीयत गलत थी। शिवाजी महाराज की मूर्ति ने मैसेज दिया कि आप मूर्ति बनाओगे तो शिवाजी विचारधारा की रक्षा भी करनी पड़ेगी। इसके बाद वे संविधान सम्मेलन में शामिल हुए। जहां उन्होंने कहा कि आरक्षण से 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक कानून लेकर आएगी।
राहुल ने कहा कि शिवाजी महाराज ने देश दुनिया को क्या मैसेज दिया। सबसे पहले उन्होंने कहा था देश सबका है। सबको लेकर चलना है। अन्याय नहीं करना है। मगर हम सोचें कि इनकी सोच का आज कौन सा चिह्न है तो वो ये संविधान है। सीधा सा कनेक्शन है। जो शिवाजी महाराज ने कहा था, 21वीं सदी में उसका ट्रांसलेशन संविधान है। उनकी सोच से ही संविधान आया। अगर शिवाजी और शाहूजी महाराज जैसे लोग नहीं होते तो संविधान नहीं होता। राहुल बोले आज यहां मूर्ति का अनावरण कर रहे हैं। शिवाजी महाराज की। ये सिर्फ एक मूर्ति नहीं। मूर्ति जब बनाई जाती है जब हम किसी व्यक्ति की विचारधारा को, उनके कर्मों को दिल से समर्थन करते हैं। हम यहां आए और मूर्ति अनावरण कर दिया। और जो ये पूरी जिंदगी जिसके लिए लड़े, हम उसके लिए लड़ें तो मूर्ति का कोई मतलब ही नहीं। जिस तरीके से ये जिए, शायद हम न कर पाएं। राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान में 2 विचारधाराओं की लड़ाई है। एक समानता की बात करती है, दूसरी लोगों को डराने-धमकाने की। दूसरी विचारधारा के खिलाफ आज कांग्रेस लड़ रही है। नीयत दिख जाती है। उसे छिपा नहीं सकते। उन्होंने मूर्ति बनाई और कुछ दिन बाद वो टूट गई। नीयत गलत थी। उसने मैसेज दिया कि आप मूर्ति बनाओगे तो उसकी विचारधारा की रक्षा करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि वो मूर्ति के सामने जाकर हाथ जोड़ते हैं और फिर 24 घंटे शिवाजी महाराज की सोच के खिलाफ काम करते हैं। राम मंदिर, पार्लियामेंट के उद्घाटन में आदिवासी राष्ट्रपति को जाने नहीं दिया। सोच एक ही है। ये राजनैतिक लड़ाई नहीं है। ये सोच, विचारधारा की लड़ाई है। संविधान की लड़ाई है, संविधान के अंदर शिवाजी महाराज हैं, उनकी सोच है।